हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुंच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
हारहर काका जसा हालत मकाइ हा ता आप उसकी किस प्रकार मदद करेंगे?
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1. हरिहर काका की बात मिडिया तक पहुँच जाती तो जो दुखी और एकाकी जीवन वे बिता रहे थे वह उन्हें मिडिया के हस्तक्षेप से न बिताना पड़ता। वे अपने पर हुए अत्याचार लोगों को न केवल बताकर भयमुक्त हो जाते बल्कि उनके कारण कई और लोग भी जागृत हो जाते। साथ ही मिडिया वहाँ पहुँचकर सबकी पोल खोल देती, मंहत व भाईयों का पर्दाफाश हो जाता। अपहरण, धमकाने और जबरन अँगूठा लगवाने के अपराध में उन्हें जेल हो जाती। मिडिया उन्हें स्वतंत्र और भयमुक्त जीवन की उचित व्यवस्था भी करवा देती।
2. यदि हमारे आस-पास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो हम उसकी हर संभव सहायता करने का प्रयास करेंगे। सबसे पहले तो हम अनुभवी और बुजर्गों को साथ लेकर उन्हें यह अहसास दिलाएँगे कि वे अकेले नहीं है समाज उनके साथ मजबूती से खड़ा है, उनके परिवार को समझाने का प्रयास करेगें। स्वयंसेवी संस्था से मिलकर भी उनकी समस्या को सुलझाने का प्रयास करेंगें। इस पर भी यदि समस्या नहीं सुलझती है तो हम पुलिस और मिडिया की सहायता लेने से भी नहीं कतराएँगे।
हरिहर काका का जिस प्रकार से धर्म और घर अर्थात् खून के रिश्तों से विश्वास उठ चुका था, उससे वे मानसिक रूप से बीमार हो गए थे। वे बिलकुल चुप रहते थे। किसी की भी कोई बात का कोई उत्तर नहीं देते थे। वर्तमान दृष्टि से यदि देखा जाए तो आज मीडिया की अहम् भूमिका है। लोगों को सच्चाई से अवगत करना उसका मुख्य कार्य है। जन-संचार के दुवारा घर-घर में बात पहुँचाई जा सकती है। इसके द्वारा लोगों तथा समाज तक बात पहुँचाना आसान है। यदि हरिहर काका की बात मीडिया तक पहुँच जाती तो शायद स्थिति थोड़ी भिन्न होती। वे अपनी बात लोगों के सामने रख पाते और स्वयं पर हुए अत्याचारों के विषय में लोगों को जागृत करते। हरिहर काका को मीडिया ठीक प्रकार से न्याय दिलवाती। उन्हें स्वतंत्र रूप से जीने की व्यवस्था उपलब्ध करवाने में मदद करती। जिस प्रकार के दबाव में वे जी रहे थे वैसी स्थिति मीडिया की सहायता मिलने के बाद नहीं होती।