हरिहर काका के विरोध में मंहत और पुजारी ही नहीं भाई भी थे। इसका कारण क्या था? हरिहर काका उनकी राय क्यों नहीं मानना चाहते थे। विस्तार से समझाइए।
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हरिहर काका के विरोध में मंहत और पुजारी ही नहीं भाई भी थे। इसका कारण क्या था? हरिहर काका उनकी राय क्यों नहीं मानना चाहते थे। विस्तार से समझाइए।
हरिहर काका के विरोध में महंत और पुजारी ही नहीं उनके अपने भाई भी थे, और हरिहर काका उन लोगों की राय नहीं मानना चाहते थे, इसका कारण यह था कि ठाकुरबारी के महंत हो या हरिहर काका के अपने भाई सब लोग उनकी संपत्ति के लोभी थे। वह किसी तरह हरिहर काका की संपत्ति को हथियाना चाहते थे।
ठाकुरबारी के महंत हरिहर काका को उनके भाइयों का डर दिखाकर बरगला रहे थे। महंत लोग कहते थे कि हरिहर काका अपनी जमीन ठाकुरबारी के नाम कर दें नहीं तो उनके भाई लोग उनकी जमीन को हड़प लेंगे। जबकि भाई लोग चाहते थे कि हरिहर काका अपनी सारी संपत्ति अपने भतीजों के नाम कर दें।
हरिहर काका दोनों में से किसी की बात मानने को तैयार नहीं थे। वह जानते थे कि यदि एक बार वह अपनी संपत्ति इन लोगों के नाम कर देंगे तो यह लोग उनको फिर दुत्कार देंगे। हरिहर काका ने उन लोगों को बहुत करीब से देखा था, जो अपनी संपत्ति अपने जीते जी अपने प्रियजन के नाम कर देते हैं और बाद में उनके प्रियजन ही उन्हें दुत्कार देते हैं। हरिहर काका ऐसी स्थिति नहीं चाहते थे, इसलिए अपने जीते जी अपनी संपत्ति अपने हाथ में ही रखना चाहते थे।