कविता के आलोक में सैनिक के जीवन की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए भाव स्पष्ट कीजिए- ‘राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो।
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कैफी आज़मी द्वारा रचित कविता ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ में कविता के आलोक में कवि ने सैनिक जीवन की चुनौतियों के बारे में बताया है।
कवि कहता है कि सैनिक किस तरह अपना सब कुछ सर्वस्व त्याग कर विकट परिस्थितियों में देश की सीमा पर रक्षा करता है। वह अनेक विषम परिस्थितियों में भयंकर चुनौतियों का सामना करता है। उसका कोई स्थाई ठिकाना नहीं होता और जहां पर उसे उसकी जरूरत होती है, वहां पर उसे जाना पड़ता है। अपने देश की सुरक्षा में देश की सीमा पर वह अनेक विषम परिस्थितियों का सामना करता है।
चाहे हड्डियों को गला देने वाली ठंड हो या त्वचा को झुलसा देने वाली गर्मी। वह इन सब कठिनाइयों से जूझता हुआ देश की सीमाओं की रक्षा करता है। बहुत से प्रदेश ऐसे वीरान प्रदेश होते हैं जहां पर दूर-दूर तक आबादी का नामोनिशान नहीं होता और जरूरी सुविधाओं का भी अभाव होता है, फिर भी सैनिक ऐसी विषम परिस्थितियों में भी देश की रक्षा करता है।
यह सब कठिनाइयां एक सैनिक जीवन की दिनचर्या हैं। इसीलिये राम और लक्ष्मण की भांति अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहता है, क्योंकि राम लक्ष्मण ने भी सीता की अस्मिता की रक्षा की थी। उसी तरह सैनिक भी भारत माँ की अस्मिता की रक्षा के लिए अपने पथ पर निरंतर चलता रहता है। इसीलिए कवि ने एक सैनिक को राम भी तुम, तुम्ही ही लक्ष्मण साथियों कहकर पुकारा है।