बढ़ती आबादी के पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए स्पष्ट कीजिए कि, ‘नेचर की सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है।’
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बढ़ती आबादी के पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए स्पष्ट कीजिए कि, ‘नेचर की सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है।’
बढ़ती जनसंख्या से सीधा प्रभाव हमारे पर्यावरण में पड़ता है ,यदि आज हम अपने चारों ओर अपने वातावरण के संदर्भ में बात करे तो पाएँगे की प्र्कृति ने अपना क्रोध प्रकट करना शुरू कर दिया है।आज सबसे बड़ा संकट ग्रीन हाउस प्रभाव से प्रकट हुआ है । जिसके कारण से वातावरण के प्रदूषण के साथ पृथ्वी का ताप बढ़ रहा है और समुद्र का जल स्तर के उपर उठने की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गयी है।वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि के कारण बढ़ती हुई जनसंख्या की निरंतर बढ़ रही जरूरतों से जुड़ा हुआ है। जरूरतों के अनुसार शहरों का फैलाव बढ़ जाता है जिससे वनो की अंधाधुंध कटाई होती है। जिससे दूर बस रहे शहरों के बीच साम्ज्स्य स्थापित करने वाले वाहनो का प्रयोग भी बढ़ जाता है जिससे वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है। हमारा निकट भविष्य बहुत प्र्दूषित हो जाएगा। अत: हम कह सकते है कि, ‘नेचर की सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है।’