हर राष्ट्र को अपने सामान्य काम-काज एवं राष्ट्रव्यापी व्यवहार के लिए किसी एक भाषा को अपनाना होता है। राष्ट्र की कोई एक भाषा स्वाभाविक विकास और विस्तार करती हुई अधिकांश जन-समूह के विचार विनिमय और व्यवहार का माध्यम बन जाती है। इसी भाषा को वह राष्ट्र, राष्ट्रभाषा का दर्जा देकर, उस पर शासन की स्वीकृति की मुहर लगा देता है। हर राष्ट्र की प्रशासकीय सुविधा तथा राष्ट्रीय एकता और गौरव के निमित्त एक राष्ट्रभाषा का होना परम आवश्यक होता है। सरकारी काम काज की केन्द्रीय भाषा के रूप में यदि एक भाषा स्वीकृत न होगी तो प्रशासन में नित्य ही व्यावहारिक कठिनाइयाँ आएँगी। अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में भी राष्ट्र की निजी भाषा का होना गौरव की बात होती है। एक राष्ट्रभाषा के लिए सर्वप्रथम गुण है में उसकी व्यापकता। राष्ट्र के अधिकांश जन-समुदाय द्वारा वह बोली तथा समझी जाती हो। दूसरा गुण है- 'उसकी समृद्धता' । वह संस्कृति, धर्म, दर्शन, साहित्य एवं विज्ञान आदि विषयों को अभिव्यक्त करने की सामर्थ्य रखती हो। उसका शब्दकोष व्यापक और विशाल हो और उसमें समयानुकूल विकास की सामर्थ्य हो । यदि निष्पक्ष दृष्टि से विचार किया जाए तो हिन्दी को ये सभी योग्यताएँ प्राप्त हैं। अतः हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा होने की सभी योग्यताएँ रखती है। (1) राष्ट्रभाषा की आवश्यकता क्यों होती है? (क) राष्ट्रीय एकता एवं गौरव के लिए (ग) धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने के लिए (2) राष्ट्रभाषा होने के लिए उसका दूसरा प्रमुख गुण क्या है? (क) व्यापकता (ग) समयानुकूल विकास (3) राष्ट्रभाषा न होने से किसमें समस्या आ सकती है? (क) समझने में (ग) प्रशासन में (ख) विदेशी भाषाओं के बहिष्कार के लिए (घ) देश में एक ही भाषा के प्रयोग के लिए (ख) व्यापक शब्दकोश (घ) समृद्धता (ख) लिखने में (घ) साहित्य में (4) 'अभिव्यक्त' एवं 'विज्ञान' में क्रमशः किन उपसर्गों का प्रयोग हुआ है? (क) व्यक्त एवं ज्ञान (ग) अ एवं वि (5) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा? (क) भारतीय भाषा (ग) राजभाषा हिंदी (ख) अभि एवं वि (घ) अभि एवं ज्ञान (ख) विदेशी भाषाओं का बहिष्कार (घ) राष्ट्रभाषा हिंदी
Attachments:
Answers
Answered by
0
Answered by
0
Answer:1 a
2 D
3 C
4 B
Explanation:
Similar questions