हर तरह की सुख सुविधाएं पाकर पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते
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उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी ने कहा है - पराधीन सपनेहू सुख नाही
अर्थात परतंत्र रहने में मनुष्य को कितने ही सुख सुविधाएं मिल , उसे सपने में भी सुख नहीं मिल सकता है। वह चाहे मनुष्य हो या पक्षी, अगर हम उस पक्षी को सोने के पिंजरे में भी बंद कर के रखे , स्वादिष्ट खाना दे तब भी वह सुखी नहीं रह सकता है । उस खुले आकाश में स्वतंत्रता से उड़ना पसंद है।
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● पक्षी के पास वह सारी सुख सुविधाएं हैं जो उसे जीवन के लिए आवश्यक है परंतु वे स्वतंत्र नहीं हैं जो उन्हें प्रिय है वह खुले आकाश में आजादी पूर्वक उड़ना चाहते हैं इससे वे प्रसन्न होते हैं जो पिन्जरे की सुख सुविधाएं नहीं दे पाती इसलिए पक्षी हर तरह की सुख सुविधाएं पाकर भी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते हैं.
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