konark ka mandir kyon prasidh h ? answer in detail
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कहा जाता है "इंडिया इस लैंड ऑफ मिस्ट्रीज" इसी के मद्देनज़र आज हम आपको बताएंगे कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में। कोणार्क में उन पर्यटकों के लिए बहुत कुछ है जो यात्रा के अलावा "कुछ ख़ास " और रोचक की तलाश करते हैं। कोणार्क का सूर्य मंदिर कामुकता को भी एक नयी परिभाषा देता है। यहां बनी मूर्तियों में बड़ी ही खूबसूरती के साथ काम और सेक्स को दर्शाया गया है। यहां बनी मूर्तियां पूर्ण रूप से यौन सुख का आनंद लेती दिखाई गयी हैं।
मजे की बात ये है कि इन मूर्तियों को मंदिर के बाहर तक ही सीमित किया गया है ऐसा करने के पीछे कारण ये बताया जाता है कि जब भी कोई मंदिर के गर्भ गृह में जाए तो वो सभी प्रकार के सांसारिक सुखों और मोह माया को मंदिर के बाहर ही छोड़ के आये।
कोणार्क का मंदिर, मंदिर में लगा चुम्बक, संध्या के बाद नृत्य करती हुई आत्माओं के पायलों की झंकार, आत्महत्या, मंदिर होते हुए भी आज तक पूजा का न होना ये सब वो बातें हैं जो हर उस व्यक्ति को कोणार्क जाने के लिए प्रेरित करेंगी जिसके अंदर किवदंतियों को जानने की चाह और रोमांच का मज़ा लेने का साहस हो। तो आइये विस्तार से जाने क्या है कोणार्क और क्या ख़ास और रोमांचक है वहां के सूर्य मंदिर में।
कोणार्क का सूर्य मंदिर, भारत के उड़ीसा राज्य के पुरी जिले के पुरी नामक शहर में स्थित है। इसे लाल बलुआ पत्थर एवं काले ग्रेनाइट पत्थर से 1236- 1264 में गंग वंश के राजा नृसिंहदेव द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर, भारत की सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है।
इसे युनेस्को द्वारा सन 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। कलिंग शैली में निर्मित यह मंदिर सूर्य देव(अर्क) के रथ के रूप में निर्मित है। इस को पत्थर पर उत्कृष्ट नक्काशी करके बहुत ही सुंदर बनाया गया है। संपूर्ण मंदिर स्थल को एक बारह जोड़ी चक्रों वाले, सात घोड़ों से खींचे जाते सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया है। मंदिर अपनी कामुक मुद्राओं वाली शिल्पाकृतियों के लिये भी प्रसिद्ध है