हरियाणा में तेलंगाना के त्योहारों के अंतर दर्शाए
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तेलंगाना की संस्कृति : तेलंगाना के भारतीय राज्य में लगभग 5,000 वर्षों का सांस्कृतिक इतिहास है। हिन्दू काकातिया वंश और मुस्लिम कुतुब शाही और आसफ़ जाही राजवंश (जिसे हैदराबाद के निज़ाम भी कहा जाता है) के शासन के दौरान यह क्षेत्र भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृति का सबसे प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा। शासकों के संरक्षण और कला और संस्कृति के लिए रुचि ने तेलंगाना को एक अद्वितीय बहु-सांस्कृतिक क्षेत्र में बदल दिया जहां दो अलग-अलग संस्कृतियां एक साथ मिलती हैं, इस प्रकार तेलंगाना को दक्कन पठार के प्रतिनिधि और वारंगल और हैदराबाद के साथ इसकी विरासत बनाते हैं। मनाए गए क्षेत्रों की प्रमुख सांस्कृतिक घटनाएं " ककातिया महोत्सव" और दक्कन महोत्सव हैं, धार्मिक त्यौहारों के साथ बोनालू , बाथुकम्मा , दशहरा , उगादी , संक्रांति , मिलद अन नबी और रमजान।
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जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने कहा कि तेलंगाना और हरियाणा की लोक संस्कृति को एक सूत्र में पिरोने का अनोखा प्रयास दोनों प्रदेशों की राज्य सरकारों की ओर से किया जा रहा हैं। इन दोनों प्रदेशों के संयुक्त तेलंगाना-हर्याना लोक नृत्य देश में अपनी एक अलग पहचान बनाएगा। दोनों प्रदेशों के कलाकार एक-दूसरे प्रदेश की संस्कृति को समझेंगे और अपनाएंगे। सरकार के प्रयास निरंतर जारी रहेंगे, ताकि एक भारत श्रेष्ठ भारत का निर्माण संभव हो सके।वे बृहस्पतिवार रात को मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर के सभागार में कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा द्वारा हरियाणा कला परिषद व मैक के सहयोग से एक भारत श्रेष्ठ भारत सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत तेलंगाना बटुकम उत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के रुप में बोल रही थी। इससे पहले उपायुक्त सुमेधा कटारिया, कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा की सांस्कृतिक अधिकारी डॉ. दीपिका, सुमन डांगी, मैक के मुख्य सलाहकार महेश जोशी ने दीपशिखा प्रज्ज्वलित कर विधिवत रुप से बटुकम उत्सव कार्यक्रम का आगाज किया। इस दौरान सांस्कृतिक विभाग व मैक की तरफ से उपायुक्त के साथ-साथ तेलंगाना से आए अधिकारी अनिल कुमार, डॉ. कुमार स्वामी सहित तमाम अधिकारियों को जयफल देकर सम्मानित किया गया।