Hari kranti se Kya taatparya ha
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हरित क्रांति, हरित एवं क्रांति शब्द के मिलने से बना है। क्रांति से तात्पर्य किसी घटना में तेजी से परिवर्तन होने तथा उन परिवर्तनों का प्रभाव आने वाले लम्बे समय तक रहने से है। हरित शब्द कृषि फसलों का सूचक है। अत: हरित क्रांति से तात्पर्य कृषि उत्पादन में अल्पकाल में विशेष गति से वृद्धि का होना तथा उत्पादन की वह वृद्धि दर आने वाले समय तक बनाये रखने से है।
Explanation:-
भारतीय कृषि के संदर्भ में हरित क्रांति से आशय छठे दशक के मध्य कृषि उत्पादन में हुई उस भारी वृद्धि से है जो थोड़े से समय में उन्नतशील बीजो, रसायनिक खादों एवं नवीन तकनीकों के फलस्वरुप हुई। अन्य शब्दों में, हरित क्रांति भारतीय कृषि में लागू की गई उस विकास विधि का परिणाम है जो 1960 के दशक में पारम्परिक कृषि को आधुनिक तकनीकी द्वारा प्रतिस्थापित किये जाने के रुप में सामने आई। कृषि में तकनीकी ज्ञान का आविष्कार, उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग, सिंचाई सुविधाओं का विकास, कृषि क्षेत्र में उन्नत औजारों एवं मशीनों का अधिकाधिक उपयोग, कृषि में विद्युतीकरण, कृषि क्षेत्र में ऋण का विस्तार, कृषि शिक्षा में विस्तार कार्यक्रमों के सम्मिलित प्रयासों के फलस्रुपय वर्ष 1966-67 के उपरान्त कृषि उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई। उत्पादन वृद्धि की इस असाधरण गति दर को कृषि वैज्ञानिकों, ने हरित क्रांति का नाम दे दिया। हरित क्रांति का जन्मदाता नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो0 नोरमन बॉरलोग है। भारत में हरित क्रांति को बढ़ावा देने का श्रेय मुख्यत: एस. स्वामीनायन को दिया जाता है। हरित क्रांति की संबा इसलिए भी दी गई कि क्योंकि इसके फलस्वरुप भारतीय कृषि निर्वाह स्तर से ऊपर उठकर आधिक्य स्तर पर आ चुकी है। इस प्रकार हरित क्रांति में मुख्य रुप से दो बाते आती हैं:-
1. एक तो उत्पादन तकनीकि में सुधार
2. दूसरे कृषि उत्पादन में वृध्दि
हरित क्रांति को नवीन कृषि रणनीति के नाम से भी जाना जाता है। नई कृषि युक्ति (New Agricultural Strategy) को 1966 ई0 में एक पैकेज के रुप में शुरु किया गया और इसे अधिक उपज देने वाले किस्मों का कार्यक्रम (High Yielding Variety Programme) की संबा दी गई।