हसुआ लेकर कौन और किस उद्देशय बाहर निकला
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हसुआ लेकर कौन और किस उद्देशय बाहर निकला
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गोपालगंज, निज संवाददाता : दीपावली में धन की देवी लक्ष्मी के आगमन के बाद शुक्रवार को पौ फटने से पहले ही बांस की सूप बजा कर घरों से दरिद्र को बाहर खदेड़ गया। सुबह चार बजे महिलाएं घर को दरिद्रता से दूर रखने के लिए बांस की सूप को घर के कोने-कोने में बजाया। सदियों से चल आ रही इस परंपरा के अनुसार सूंप बजाकर दरिद्र भगाने का संबंध सुख समृद्धि से जोड़ा गया है। शास्त्रों में वर्णित श्लोक -शेष रात्रौ दरिद्रा निहिषार्णम, हमारी विशिष्ट परंपरा का बोध कराता है। इस परंपरा का पालन न जाने कब से लोग करते चले आ रहे है। संस्कृत के आचार्य मानते है कि दीपावली के दिन जब घर में लक्ष्मी आ जाएं तो दरिद्र को घर से बाहर भगा दिया जाए। इसके बाद ही स्थाई रुप से लक्ष्मी का घर में वास हो पाता है। तमाम उदाहरण ऐसे में मिले है कि जिससे यह परंपरा लोगों के मन में विराट रुप से स्थापित है। वेदाचार्य पंडित किशोर उपाध्याय ने बताया कि भारत ऋषि और कृषि प्रधान देश है। दोनों के सामंजस्य के बिना सुख की कामना नहीं पूर्ण होती। बांस के बने सूंप को बजाकर दरिद्र भगाने के पीछे कई तर्क है। शास्त्र सूंप को वनस्पति मानता है। मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक बांस का तारतम्य बना हुआ है। सूंप का अर्थ समृद्धि को ग्रहण कर अशुद्धि और दरिद्रता को छांटना है