हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्।
निराशीनिर्ममो
भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः॥
उपर्युक्त श्लोक का भवार्थ लिखकर व्याख्या करे
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sorry I dunno the answer.
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