History, asked by krakesh9288, 1 year ago

हड़प्पा के लोगों के पश्चिम एशिया के साथ व्यापारिक संबंधों का वर्णन कीजिए।​

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Answered by subhashnidevi4878
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हड़प्पा के लोगों के पश्चिम एशिया के साथ व्यापार।​

स्पष्टीकरण:

पश्चिम एशिया के साथ भारत के गहन ऐतिहासिक, सांस्‍कृतिक और सभ्‍यतागत संबंध हैं। इस क्षेत्र के साथ भारत के सभ्‍यतागत संपर्क लिखित इतिहास की शुरूआत से ही चले आ रहे हैं। प्राचीनकाल में सिंधु / हड़प्पा सभ्‍यता के समय से दोनों पक्षों के बीच संपर्क सतत रूप से जारी हैं तथा आधुनिक काल में उपनिवेशवाद की खिलाफत में दोनों पक्षों का साझा विश्‍वास है। 20वीं शताब्‍दी के उत्‍तरार्ध में ये संबंध और सुदृढ़ हुए क्‍योंकि दोनों पक्ष अपने उपनिवेशी शासन से बाहर निकले और नई सच्‍चाइयों को बुनना, सामान्‍य विकास समस्‍याओं तथा 21वीं शताब्‍दी की नई चुनौतियों से निपटने के लिए समझ एवं तालमेल के नए सेतुओं का निर्माण करना शुरू किया। वार्ता एवं परामर्श के माध्‍यम से सुरक्षा अंतर्राष्‍ट्रीय शांति एवं सुरक्षा प्राप्‍त करने, बनाए रखने और बढ़ाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता में साझे विश्‍वास की बुनियादी रूपरेखा है। भारत के लिए पश्चिम एशिया हमारे विस्‍तारित पड़ोस का अंग है और इस प्रकार, इस क्षेत्र में निरंतर शांति एवं स्थिरता हमारे सामरिक हित में है।

हड़प्पाई लोग सिंधु सभ्यता के क्षेत्र के भीतर पत्थर, धातु शल्क आदि का व्यापार करते थे, लेकिन वे जो वस्तुएं बनाते थे उसके लिए अपेक्षित कच्चा माल उनके नगरों में उपलब्ध नहीं था। अतः उन्हें बाह्य देशों से व्यापारिक सम्पर्क स्थापित करना पड़ता था। तैयार माल की खपत की आवश्यकता ने व्यापारिक संबंधो को प्रगाढ़ बनाया। व्यापार में धातु के सिक्कों का प्रयोग नहीं करते थे वरन् वस्तु विनिमय प्रणाली पर ही उनके व्यापार आधारित थे। व्यापारिक वस्तुओ की गांठों पर शिल्पियों एवं व्यापारियों द्वारा अपनी मुहर की छाप थी तथा दूसरी ओर भेजे जाने वाले का निशान अंकित था। बाट-माप एवं नाप तोल का व्यापारिक कार्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है। मोहनजोदाड़ो, हड़प्पा, लोथल एवं कालीबंगा में प्रयुक्त बाटों की तौल का अनुपात 1, 2, 4, 8, 16, 32, 64, 160, 200, 320 आदि था। बाट धनाकार, वर्तुलाकार, बेलनाकार, शंक्वाकार एवं ढोलाकार थे। तौल की इकाई संभवतः 16 अनुपात में थी। मोहनजोदाड़ों से सीप का तथा लोथल से हांथी दांत का निर्मित एक-एक पैमाना मिला है।

Answered by dackpower
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हड़प्पा के लोगों के पश्चिम एशिया के साथ व्यापारिक संबंधों का वर्णन

Explanation:

प्रतीत होता है कि सभ्यता की अर्थव्यवस्था व्यापार पर काफी निर्भर थी, जिसे परिवहन प्रौद्योगिकी में प्रमुख प्रगति द्वारा सुगम बनाया गया था। हड़प्पा सभ्यता पहिएदार परिवहन का उपयोग करने वाली पहली बैलगाड़ी के रूप में हो सकती है, जो आज पूरे दक्षिण एशिया में देखने के समान है।

हड़प्पा और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं के बीच एक व्यापक समुद्री व्यापार नेटवर्क चल रहा था। हड़प्पा की मुहरें और गहने मेसोपोटामिया के क्षेत्रों में पुरातात्विक स्थलों पर पाए गए हैं, जिनमें अधिकांश आधुनिक इराक, कुवैत और सीरिया के कुछ हिस्से शामिल हैं। पानी के निकायों पर अरब सागर, लाल सागर और फारस की खाड़ी जैसे लंबी दूरी के समुद्री व्यापार, प्लैंक वॉटरक्राफ्ट के विकास के साथ संभव हो गए हैं जो एक केंद्रीय मस्तूल के साथ सुसज्जित था जो बुने हुए रस्सियों या कपड़े की पाल का समर्थन करता था।

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हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं बताइए​

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