History, asked by sambhuc667, 5 months ago

हड़प्पा लिपि की विशेषताएं बताओ​

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Answered by annujoon
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Answer:

हङप्पाई लिपि को अब तक पढने में सफलता प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन निश्चित रूप से यह वर्णमालीय ( जहाँ प्रत्येक चिन्ह एक स्वर अथवा व्यंजन को दर्शाता है) नहीं थी क्योंकि इसमें चिन्हों की संख्या कहीं अधिक है – लगभग 375 से 400के बीच । सामान्यत: हङप्पाई मुहरों पर एक पंक्ति में कुछ लिखा है जो संभवत: मालिक के नाम और उसके पद को दर्शाता है। विद्वानों ने यह भी समझाने की कोशिश करी है कि इन मुहरों पर बना चित्र (एक जानवर का चित्र) अनपढ लोगों को सांकेतिक रूप से इसका अर्थ बताता है।हङप्पाई लिपि के अधिकांश लेख मुद्राओं पर पाए गए हैं। इन लेखों में से अधिकांश लेख बहुत ही छोटे हैं। हङप्पाई लिपि पर विभिन्न पशु (वृषभ, एक श्रृंगी बैल, धार्मिक रुपायन आदि ) मुहरों के अग्र/पश्च भाग से मिलते हैं।

इस लिपि को सिंधु लिपि, सरस्वती लिपि के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह लिपि दाईं से बाईं ओर लिखी जाती थी क्योंकि कुछ मुहरों पर दाईं ओर चौङा अंतराल है और बाईं ओर यह संकुचित है जिससे लगता है कि उत्कीर्णक ने दाईं ओर से लिखना आरंभ किया और बाद में स्थान कम पङ गया ।

Answered by NagayachG
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Answer:

हड़प्पा लिपि जो कि सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख लिपि है और तीसरी शताब्दी के द्वितीय अर्धांश में आरंभ हुई तथा धीरे-धीरे पूर्व पश्चिम पूर्व उत्तर उत्तर पश्चिमी भारत पर फैल गई । इसलिए पता है कि यह लिपि आज तक किसी के द्वारा पढ़ी नहीं गई, क्योंकि यह संकेत आक्षिरी लिपि है। इसमें प्रत्येक संकेत के भिन्न-भिन्न अर्थ हो सकते हैं , और प्रत्येक लाइन मैं भिन्न भिन्न संकेत दिए गए हैं , जिससे जिसको पढ़ना और भी मुश्किल है।

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