Hindi, asked by priyanshusharmasjt04, 1 day ago

हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ। सुनो बात मेरी- अनोखी हवा हूँ। बड़ी बावली हूँ, बड़ी मस्तमौला। - इस कविता का भावार्थ​

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Answered by Anonymous
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बसंती हवा बावली, निडर और मस्तमौला होती है। उसे किसी बात की फ़िक्र नहीं होती। वह ऐसी मुसाफ़िर है जो जहाँ चाहे वहाँ घूमती है। बसंती हवा का कोई घर नही, प्रेमी नहीं और न कोई दुश्मन है।

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