Hindi, asked by naveenpatel639, 9 months ago

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you have to write 350-400 words of the topic

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write the answer in Hindi ​

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Answered by BrainlyEmpire
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Answer:

Hello mate ✌️

Explanation:

भारत मुख्यतः कृषिप्रधान देश है और यहाँ की पारिवारिक रचना प्राय: कृषि की आवश्यकताओं से प्रभावित है। इसके अतिरिक्त भारतीय परिवार की मर्यादाएँ और आदर्श परंपरागत है। किसी अन्य समाज़ में गृहस्थ जीवन की इतनी पवित्रता तथा पिता, पुत्र भाई भाई और पति पत्नी के इतने स्थायी संबंधों का उदाहरण नहीं मिलता। यद्यपि विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों और जतियों में सांपत्तिक अधिकार, विवाह तथा विवाहविच्छेद आदि की प्रथा की दृष्टि से अनेक भेद पाए जाते हैं तथापि संयुक्त परिवार का आदर्श सर्वमान्य है। संयुक्त परिवार में संबंधियों का दायरा पति, पत्नी तथा उनकी अविवाहित संतानों से भी अधिक व्यापक होता है। बहुधा उसमें तीन पीढ़ियों और कभी कभी इससे भी अधिक पीढ़ियों के व्यक्ति एक घर में एक ही अनुशासन में और एक रसोईघर से संबंध रखते हुए सम्मिलित संपत्ति का उपभोग करते हैं और परिवार के धार्मिक कृत्यों तथा संस्कारों में भाग लेते हैं। यद्यपि मुसलमानों और ईसाइयों में संपत्ति के नियम भिन्न हैं, तथापि संयुक्त परिवार के आदर्श, परंपराएँ और प्रतिष्ठा के कारण इन सांपत्तिक अधिकारों का व्यावहारिक पक्ष परिवार के संयुक्त रूप के अनुकूल ही रहता है। संयुक्त परिवार का मूल भारत की कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था के अतिरिक्त प्राचीन परंपराओं तथा आदर्श में है। रामायण और महाभारत की गाथाओं द्वारा यह आदर्श जन जन तक पहुँचते हैं। कृषि ने सर्वत्र ही पारिवारिक जीवन की स्थिरता प्रदान की है। अत: भारतीय समाज में परंपरा से उत्पादन कार्य, उपभोग और सुरक्षा की बुनियादी इकाई परिवार है।

अपवादों को छोड़कर भारतीय समाज पितृवंशीय, पितृस्थानीय और पितृभक्त है। यहाँ पुरुष की अपेक्षा नारी का दर्जा हीन माना जाता है। संपत्ति पर नारी का बहुत सीमित अधिकार माना गया है। फिर भी, गृहस्थी के अनेक मामलों में उसकी महत्ता स्वीकृत है। साधारणत: एक विवाह की मान्यता है। किंतु पुरुष को एकाधिक विवाह करने का अधिकार है। परंपरागत आदर्श के अनुसार विधवा विवाह का निषेध है, किंतु विधुर विवाह कर सकता है। पतिव्रता धर्म की बहुत महिमा है। पितर पूजा का भी भारी महत्व है। उच्च जातियों को छोड़कर अन्य सभी जातियों में प्राय: विवाह विच्छेद और विधवा विवाह प्रचलित है। परंतु जब कोई जाति अपनी मर्यादा को ऊँचा करना चाहती है तो इन दोनों प्रथाओं का निषेध कर देती है। घर का सबसे अधिक वयोवृद्ध पुरुष, यदि वह कार्यनिवृत्त न हो गया हो तो संयुक्त परिवार का कर्ता अथवा मुखिया होता है। कहीं कहीं उसे मालिक (स्वामी) भी कहते हैं। यह कर्ता अन्य वयोवृद्ध या वयस्क सदस्यों की सलाह से या उसके बिना ही परंपरा के आधार पर परिवार में कार्यविभाजन, उत्पादन, उपभोग आदि की व्यवस्था करता है और परिवार तथा उसके सदस्यों से संबधित सामाजिक महत्व के प्रश्नों का निर्णय करता है। घर की सबसे वयोवृद्ध नारी परिवार के महिला वर्ग की मुखिया होती है और जो कार्य महिलाओं के सुपुर्द है उनकी देखरेख तथा व्यवस्था करती है। भोजन तैयार करना बच्चों का पालन पोषण करना तथा कताई आदि महिलाओं के मुख्य काम हैं। यों वे खेती के या व्यवसाय के कुछ मामूली कार्यों में भी हाथ बँटाती हैं। संयुक्त परिवार में चाचा, ताऊ की विवाहित संतान और उसके विवाहित पुत्र, पौत्र आदि भी हो सकते हैं। साधारणतया पिता के जीवन में उसके पुत्र परिवार से अलग होकर स्वतंत्र गृहस्थी नहीं बसाते, किंतु यह अभेद्य परंपरा नहीं है। ऐसा समय आता है जब रक्तसंबंधों की निकटता के आधार पर एक संयुक्त परिवार दो या अनेक संयुक्त अथवा असंयुक्त परिवारों में विभक्त हो जाता है। असंयुक्त परिवार भी कालक्रम में संयुक्त रूप ले लेता है और संयुक्त परिवार का क्रम बना रहता है।

hope it will be helpful to you ✌️✌️✌️

Answered by harmankaur87
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same as the answer above

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