hello friends...plz help me in telling about the article in hindi on global warming in 750 words.....plz help me...it's urgent..tommorow i hv to submit my hindi...plz tell me...plz...fast!!!!!
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HEY DEAR...!!
ग्लोबल वार्मिंग के रुप में आज हम लोग एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहे है जिसका हमें स्थायी समाधान निकालने की जरुरत है। असल में, धरती के सतह के तापमान में लगातार और स्थायी वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग है। इसके प्रभाव को खत्म करने के लिये पूरे विश्व को व्यापक तौर पर चर्चा करने की जरुरत है। इससे दशकों से धरती की आबोहवा और जैव-विविधता प्रभावित हो रहा है।
धरती पर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का मुख्य कारण CO2 और मिथेन जैसे ग्रीनहाउस गैस है, जिसका सीधा प्रभाव समुद्र जल स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना, अप्रत्याशित वायुमंडलीय परिवर्तन जो धरती पर जीवन की संभावानाओं को प्रदर्शित करता है। आँकड़ों के अनुसार, 20वीं सदी के मध्य से ही धरती का तापमान निरंतर बढ़ रहा है और इसका मुख्य कारण लोगों के जीवन शैली में बदलाव से है।
1983,1987,1988,1989 और 1991 बीती सदी का सबसे का गर्म साल रहा। इसके लगातार बढ़ने से धरती पर बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूस्खलन, सुनामी, महामारी आदि जैसे प्रकोप जीवन के लिये खतरा पैदा हो कर रहें हैं जो प्रकृति के असंतुलन को दिखाती है।
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जल का वाष्पीकरण वातावरण में हो जाता है, जिसकी वजह से ग्रीनहाउस गैस बनता है और जिसके कारण फिर से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ता है। दूसरी क्रियांएँ जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाना, खादों का इस्तेमाल, CFCs जैसे गैसों में वृद्धि, ट्रौपोसफेरिक ओजोन और नाईट्रस ऑक्साइड भी ग्लोबल वार्मिंग के लिये जिम्मेदार है। इसके बढ़ने का मौलिक कारण तकनीकी उन्नति, जनसंख्या विस्फोट, औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, और शहरीकरण आदि है।
अत्यधिक वन-कटाई से हम प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे है साथ ही तकनीकी उन्नति जैसे ग्लोबल कार्बन साईकिल ओजोन परत में छेद कर रहे है और इससे अल्ट्रावॉयलेट किरणों को धरती पर आसानी से आने का मौका मिल रहा है जो ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ौतरी का कारण बन रही है। हवा से कॉर्बनडाई ऑक्साइड को हटाने के लिये पेड़-पौधे सर्वश्रेठ विकल्प है अत: वनों की कटाई को रोकना होगा तथा ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को खत्म करने के लिये पेड़ों को लगाने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना होगा जिससे हमे इसके खतरे को कम करने में हमें बड़े स्तर की सफलता मिल सकती है। पूरे विश्व में जनसंख्या विस्फोट को भी रोकने की आवश्कता है क्योंकि इससे धरती पर विनाशकारी तकनीकों का इस्तेमाल कम होगा।
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HOPE IT'S HELP U
ग्लोबल वार्मिंग के रुप में आज हम लोग एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहे है जिसका हमें स्थायी समाधान निकालने की जरुरत है। असल में, धरती के सतह के तापमान में लगातार और स्थायी वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग है। इसके प्रभाव को खत्म करने के लिये पूरे विश्व को व्यापक तौर पर चर्चा करने की जरुरत है। इससे दशकों से धरती की आबोहवा और जैव-विविधता प्रभावित हो रहा है।
धरती पर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का मुख्य कारण CO2 और मिथेन जैसे ग्रीनहाउस गैस है, जिसका सीधा प्रभाव समुद्र जल स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना, अप्रत्याशित वायुमंडलीय परिवर्तन जो धरती पर जीवन की संभावानाओं को प्रदर्शित करता है। आँकड़ों के अनुसार, 20वीं सदी के मध्य से ही धरती का तापमान निरंतर बढ़ रहा है और इसका मुख्य कारण लोगों के जीवन शैली में बदलाव से है।
1983,1987,1988,1989 और 1991 बीती सदी का सबसे का गर्म साल रहा। इसके लगातार बढ़ने से धरती पर बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूस्खलन, सुनामी, महामारी आदि जैसे प्रकोप जीवन के लिये खतरा पैदा हो कर रहें हैं जो प्रकृति के असंतुलन को दिखाती है।
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जल का वाष्पीकरण वातावरण में हो जाता है, जिसकी वजह से ग्रीनहाउस गैस बनता है और जिसके कारण फिर से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ता है। दूसरी क्रियांएँ जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाना, खादों का इस्तेमाल, CFCs जैसे गैसों में वृद्धि, ट्रौपोसफेरिक ओजोन और नाईट्रस ऑक्साइड भी ग्लोबल वार्मिंग के लिये जिम्मेदार है। इसके बढ़ने का मौलिक कारण तकनीकी उन्नति, जनसंख्या विस्फोट, औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, और शहरीकरण आदि है।
अत्यधिक वन-कटाई से हम प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे है साथ ही तकनीकी उन्नति जैसे ग्लोबल कार्बन साईकिल ओजोन परत में छेद कर रहे है और इससे अल्ट्रावॉयलेट किरणों को धरती पर आसानी से आने का मौका मिल रहा है जो ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ौतरी का कारण बन रही है। हवा से कॉर्बनडाई ऑक्साइड को हटाने के लिये पेड़-पौधे सर्वश्रेठ विकल्प है अत: वनों की कटाई को रोकना होगा तथा ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को खत्म करने के लिये पेड़ों को लगाने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना होगा जिससे हमे इसके खतरे को कम करने में हमें बड़े स्तर की सफलता मिल सकती है। पूरे विश्व में जनसंख्या विस्फोट को भी रोकने की आवश्कता है क्योंकि इससे धरती पर विनाशकारी तकनीकों का इस्तेमाल कम होगा।
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मनुष्य ने विज्ञान के माध्यम से जहां एक ओर सुख-सुविधाओं के अनेक समान जुटा लिए हैं वहीं दूसरी ओर मनुष्य ने अपने चारों ओर फैले प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाई है । प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति पैदा होने के कारण मानव के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लग गया है ।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिग के खतरे दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं । ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है भूमंडलीय वातावरण में तापमान का बढ़ना । तापमान क्यों बढ़ रहा है? इसके क्या खतरे हो सकते हैं? इन सब पर समूचे विश्व के हजारों वैज्ञानिक विचार कर रहे हैं । मनुष्य ने वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रयोग यदि सोच-समझ कर किया होता तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता । अंधाधुंध उद्योगों की स्थापना, उसकी चिमनियों से निकलने वाली गैसें, पर्यावरण में बढ़ता वायु प्रदूषण, वृक्षों की कटाई आदि इस समस्या को और विकट बनाते जा रहे हैं ।
दिन के समय सूर्य की किरणें धरती को गर्माती हैं । वातावरण में गर्मी बढ़ रही है । बढ़ते तापमान के खतरे अनेक हैं । इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि सारा वायुमंडल गर्म हो जाएगा । लोग झुलसेंगे और अनेक रोगों से ग्रस्त होंगे । दूसरा खतरा प्राकृतिक साधनों का होगा । बर्फ के पहाड़ पिघलेगे । परिणामस्वरूप बाढ़ आएगी । नदियों का जलस्तर बढ़ेगा । समुद्र उफनेगा । धरती का व्यास कम होगा । हर तरफ विनाश एवं तबाही का साम्राज्य होगा । परमाणु भट्टियों तथा अत्यधिक ऊर्जा के कारण जो रेडियोधर्मी किरणें निकलेंगी उनके कारण ओजोन परत में छेद हो जाएगा । परिणामस्वरूप त्वचा को झुलसा देने वाली खतरनाक पराबैंगनी किरणें धरती पर आएगी तथा जनजीवन को ध्वस्त कर देगी । ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से उबरना बहुत आवश्यक है । इसके लिए ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग से बचना होगा । हरियाली को बढ़ाना होगा । अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे । धरती को हरा- भरा रखना होगा ।
बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइक्साइड की मात्रा बहुत बढ़ गई है । यही सूर्य की गर्मी कों वापिस जानै से रोकती है । इसी कारण भूमंडल का तापमान बढ़ता जा रहा है । ओजोन की परत सूर्य और पृथ्वी के बीच कवच की तरह काम करती हैँ । बढ़ते प्रदूषण ने उसी परत में छेद कर दिया है ।
भूमंडलीय तापमान बढ़ने से ध्रुवीय क्षेत्रों, हिम नदियों तथा पहाड़ों की बर्फ तेजी से पिघल रही है । इससे महानगरों के जल का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है । ऋतु चक्र में भी बदलाव आ रहा है । साथ ही सर्दी में अधिक सर्दी, गर्मी में अधिक गर्मी तथा बे-मौसम की बरसात तथा तूफान आ रहे है ।
इस समस्या के समाधान के लिए सबको एकजुट होना होगा । अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे जो कि कार्बन डाइऑक्साइड लेकर. ऑक्सीजन की मात्रा वायुमंडल मैं बढ़ा सकें । धुआं. निकलने वाली मशीनों का प्रयोग बंद करके प्राकृतिक गैसों जैसे सी .एन जी. १ सौर ऊर्जा आदि से चलने वाले उपकरणों का अधिक प्रयोग करना होगा ।
यदि प्रत्येक मनुष्य इस दिशा में एक-एक कदम चढ़ाए, तो इस ख़तरे को समाप्त किया जा सकता है । जनसमुदाय को जागरुक एवं सचेत बनाना होगा तथा प्रदूषण से बचने के लिए प्राकृतिक संसाधनों तथा वैज्ञानिक अविष्कारों -के दुरुपयोग पर रोक लगानी होगी ।
“आओ मिलकर बढ़ाएं हाथ धरती स्वर्ग बन जाए यदि मिले हमें एक-दूसरे का साथ ।”
वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिग के खतरे दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं । ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है भूमंडलीय वातावरण में तापमान का बढ़ना । तापमान क्यों बढ़ रहा है? इसके क्या खतरे हो सकते हैं? इन सब पर समूचे विश्व के हजारों वैज्ञानिक विचार कर रहे हैं । मनुष्य ने वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रयोग यदि सोच-समझ कर किया होता तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता । अंधाधुंध उद्योगों की स्थापना, उसकी चिमनियों से निकलने वाली गैसें, पर्यावरण में बढ़ता वायु प्रदूषण, वृक्षों की कटाई आदि इस समस्या को और विकट बनाते जा रहे हैं ।
दिन के समय सूर्य की किरणें धरती को गर्माती हैं । वातावरण में गर्मी बढ़ रही है । बढ़ते तापमान के खतरे अनेक हैं । इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि सारा वायुमंडल गर्म हो जाएगा । लोग झुलसेंगे और अनेक रोगों से ग्रस्त होंगे । दूसरा खतरा प्राकृतिक साधनों का होगा । बर्फ के पहाड़ पिघलेगे । परिणामस्वरूप बाढ़ आएगी । नदियों का जलस्तर बढ़ेगा । समुद्र उफनेगा । धरती का व्यास कम होगा । हर तरफ विनाश एवं तबाही का साम्राज्य होगा । परमाणु भट्टियों तथा अत्यधिक ऊर्जा के कारण जो रेडियोधर्मी किरणें निकलेंगी उनके कारण ओजोन परत में छेद हो जाएगा । परिणामस्वरूप त्वचा को झुलसा देने वाली खतरनाक पराबैंगनी किरणें धरती पर आएगी तथा जनजीवन को ध्वस्त कर देगी । ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से उबरना बहुत आवश्यक है । इसके लिए ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग से बचना होगा । हरियाली को बढ़ाना होगा । अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे । धरती को हरा- भरा रखना होगा ।
बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइक्साइड की मात्रा बहुत बढ़ गई है । यही सूर्य की गर्मी कों वापिस जानै से रोकती है । इसी कारण भूमंडल का तापमान बढ़ता जा रहा है । ओजोन की परत सूर्य और पृथ्वी के बीच कवच की तरह काम करती हैँ । बढ़ते प्रदूषण ने उसी परत में छेद कर दिया है ।
भूमंडलीय तापमान बढ़ने से ध्रुवीय क्षेत्रों, हिम नदियों तथा पहाड़ों की बर्फ तेजी से पिघल रही है । इससे महानगरों के जल का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है । ऋतु चक्र में भी बदलाव आ रहा है । साथ ही सर्दी में अधिक सर्दी, गर्मी में अधिक गर्मी तथा बे-मौसम की बरसात तथा तूफान आ रहे है ।
इस समस्या के समाधान के लिए सबको एकजुट होना होगा । अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे जो कि कार्बन डाइऑक्साइड लेकर. ऑक्सीजन की मात्रा वायुमंडल मैं बढ़ा सकें । धुआं. निकलने वाली मशीनों का प्रयोग बंद करके प्राकृतिक गैसों जैसे सी .एन जी. १ सौर ऊर्जा आदि से चलने वाले उपकरणों का अधिक प्रयोग करना होगा ।
यदि प्रत्येक मनुष्य इस दिशा में एक-एक कदम चढ़ाए, तो इस ख़तरे को समाप्त किया जा सकता है । जनसमुदाय को जागरुक एवं सचेत बनाना होगा तथा प्रदूषण से बचने के लिए प्राकृतिक संसाधनों तथा वैज्ञानिक अविष्कारों -के दुरुपयोग पर रोक लगानी होगी ।
“आओ मिलकर बढ़ाएं हाथ धरती स्वर्ग बन जाए यदि मिले हमें एक-दूसरे का साथ ।”
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