History, asked by sukantidevi03, 5 months ago

Hello guys.....I have a doubt ..... महाजनी प्रथा क्या है ?....​

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Answered by Anonymous
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लोगों की आर्थिक तंगी का लाभ उठाकर उन्हें अपनी शर्तो पर ऋण उपलब्ध कराकर शोषण व दोहन करने की महाजनी प्रथा अब भी जारी है। इस्ट इंडिया कंपनी ने भी देश में वाणिज्य व्यवसाय के बहाने देश को आर्थिक रूप से गुलाम बनाकर अपनी शासन सत्ता कायम की थी। आजादी के बाद भी बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां गांव के किसानों की जमीन पर खेती करने के नाम पर उनके आर्थिक साधन पर कब्जा जमाने का प्रयास करने में लगी है। बैंक द्वारा जरूरतमंदों को ऋण दिए जाने के तमाम प्रयासों के बावजूद महाजनी प्रथा के प्रसार में अंकुश नहीं लग पाया है। बैंकों से ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया की जटिलता को पूरा कर बैंक के नियमों व शर्तो को पूरा करने की बाध्यता और फिर ऋण स्वीकृति होने से ऋण राशि विमुक्त होने में होने वाले विलंब से लोगों का आकस्मिक कार्य धनाभाव के कारण प्रभावित होता है। ऐसे में गांव के गरीब किसान अपनी आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने महाजनों से ऋण लेने को विवश होते हैं। उन्हें महाजनों से कुछ औपचारिकता पूरी करने के बाद सीधे ऋण राशि प्राप्त हो जाती है। महाजनों द्वारा प्रदान ऋण उनकी अपनी सेवा शर्तो व निर्धारित ब्याज दर मानने पर गांव के किसान, मजदूर विवश होते हैं। बेटी की शादी-ब्याह, बीमारी का इलाज आदि के लिए बैंकों से ऋण तत्काल पाना संभव नहीं होने से साहूकारी प्रथा को जिंदा रहने का मौका मिल जाता है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से आज भी मजदूर अन्य प्रदेशों में रोजगार की तलाश में जाने के लिए महाजनों के पास अपना खेत, गहना गिरवी रखकर जाते हैं। अभी हाल ही में जिले के अनेक रेलवे सफाई कर्मियों ने अपने वरीय अधिकारी के सामने इस तथ्य का खुलासा किया था कि उनके पासबुक महाजनों ने गिरवी रखकर ऋण दिए हैं। इतना ही नहीं उनके मासिक वेतन भुगतान के लिए अग्रिम ही निकासी फार्म पर दस्तखत एवं अंगुठे का निशान लेकर रख लिया गया है।

महाजनों के दोहन, शोषण से बचाए जाने के संदर्भ में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पटना के आंचलिक प्रबंधक सुभाष चन्द्र सिंह ने बताया कि बैंकों के माध्यम से ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया को सतत सरल बनाया जा रहा है। कहा कि गांव के किसानों के लिए बैंकों द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत आसान शर्तो व ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराई जाती है। उन्होंने कहा कि बैंक से ऋण प्राप्त करने में निर्धारित प्रक्रिया पूरा करने में थोड़ा वक्त तो लगता है। उन्होंने कहा कि आज भी बैंकों के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी है। महाजनी प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए उन्होंने आमलोगों और बैंकों के बीच की संवादहीनता को दूर करने की आवश्यकता जतायी। साथ ही बैंकिंग लिटरेसी (वित्तीय साक्षरता) बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता भी जतायी।

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