Hindi, asked by khushimohanty12456, 24 days ago

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Answered by mittalgarima2007
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∣❥Ꭺɴꮪꮃꭼꭱ♡∣

लालच बुरी बला है इस उक्ति अनुसार इस पाठ में जिना मेहनत फल पाने की इच्छा लालच करनेवाले व्यक्ति की कहानी का वर्णन किया गया है। बाबू भाई को नारियल खाने की इच्छा होती है। उसका मीठा स्वाद उनसे मुँह में पानी लाता है। लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि नारियल लाने के लिए बाजार जाना पडेगा, पैसे खर्च करने पड़ेंगे। वे बाजार पहुँचते है। नारियल का दाम पूछाने पर पता चलता है कि दो रूपए में मिलेगा। बाबूभाई दो रूपए नहीं देना चाहते उससे कम दाम में नारियल खरीदना चाहते है। बताने पर नारियलवाला एकरूपये में मिलनेवाले नारियल का पता बता देता है। बाबूलाल मंडी में जाते है। वहाँ नारियल का भाव पूछने पर एक रूपया दाम में नारियल मिल सकता है। बाबूभाई के हिमाव से नारियल और सस्ते दाम में मिलना चाहिए। उन्हें दो नारियल पचास पैसे में चाहिए था। नारियलवाला देने से इनकार करना है। और पचास पैसेवाला नारियल का पता बताता है। बाबूभाई आधे पैसे में नारियल पाने की चाहत में बंदरगाह चले गए। वहाँ पचास पैसे में नारियल मिल रहे थे। लेकिन कम दाम में नारियल की चाहत में बाबूभाई को लालची बना दिया था। वहाँ भी बात न बनी और उससे भी कम दाम में मिलनेवाले नारियल की खोज में बाबूभाई नारियल के बगीचे में चले जाते हैं। अब की बार बाबू भाई पच्चीस पैसों में नारियल खरीदने के लिए गडा। लेकिन उनको अब नारियल खरीदना ही नही था, मुफ्त में चाहिए था। नारियल बेचने वाले ने कहा कि मुफ्त में नारियल चाहिए तो पेड पर चढकर खुद ही नारियल ले लो।। बाबूभाई खुश हुए उन्होंने पेड पर चढना शुरु किया और फिसलकर हवा में लटकने लगे। उन्होंने मदद के लिए माली को आवाज दी। लेकिन उसने मना कर दिया। पास से ऊँट पर सवार आदमी जा रहा था। उसे मदद के लिए बुलाया वो तैयार तो होगया मगर ठीक उसी वक्त ऊँट को पेड पर हरे पत्ते नजर आते है। ऊँट बन पत्तों की खाने की लालच में गर्दन सुकाता है। और वह आदमी उसके पीठ पर से फिसलकर बाबूभाई के पैरो से लिपटता है। दोनों लटकते रहते हैं। फिर एक घुडसवार दिखाई देता है। पर वो भी घास खाने की चाहत में जगह में टट जाता है। और घोडे का मालिक ऊँटवाले के पैरों से लटकता रहता है। अब तीनों लटकते रहे। आखिर में घोडेवाला और ऊँटवाला बाबूभाई को पैसों का लालच देते है ताकि वो हाथ न छोडे और नीचे ना गिरे। लेकिन पैसों की लालच ने बाबूभाई को जैमे लालची बना दिया था। इतने | सारे पैसों के लालच से बाबूभाई अपनी बाहें फैलाते है ।और धडाम में । जमीन पर गिरते हैं।

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