help me with Hindi, also please don't reply if you don't know
Attachments:
Answers
Answered by
0
(1) अर्थ : कविवर रहीम कहते हैं कि जिसत तर पेड़ कभी स्वयं अपने फल नहीं खाते और तालाब कभी अपना पानी नहीं पीते उसी तरह सज्जनलोग दूसरे के हित के लिये संपत्ति का संचय करते हैं।
(2) रहीम कहते हैं कि प्रेम व रिश्तों का बंधन धागे की तरह होता है जिस प्रकार धागा टूटकर दोबारा नहीं जुड़ सकता और अगर जोड़ा जाये तो उसमें गाँठ पड़ जाती ठीक उसी प्रकार रिश्तों में कड़वाहट आने से वे दोबारा मजबूत नहीं हो सकते हैं |
Similar questions