Hindi, asked by krissi, 1 year ago

help me with the summer of bihari ke dohe plz

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Answered by ips541
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दृग उरझत, टूटत कुटुम, जुरत चतुर-चित्त प्रीति।
परिति गांठि दुरजन-हियै, दई नई यह रीति।।

भाव:- प्रेम की रीति अनूठी है। इसमें उलझते तो नयन हैं,पर परिवार टूट जाते हैं, प्रेम की यह रीति नई है इससे चतुर प्रेमियों के चित्त तो जुड़ जाते हैं पर दुष्टों के हृदय में गांठ पड़ जाती है।

सु चित्त अन्तर, तऊ प्रतिबिम्बितु जग होइ।।





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