English, asked by sombarimarndi918, 5 months ago

Here" He" refers to whom 10th story chapter 1​

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Answered by kanishkarajput9
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what is the class

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chapter name these details u have to give

Answered by Anonymous
1

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Explanation:

हम अपना जीवन जी रहे हें या काट रहे हें, यह जानना हमारे लिए बहुत जरूरी  है | जीवन काटने का अर्थ यह है कि हम पूर्णत: अबोधी जीवन जी रहे है जिसकी परिणति हमारा सम्पूर्ण विनाश है | इसके ठीक विपरीत ‘बोधी-जीवन’ रक्षा, सुख-समृद्धी,  शांति और विकास लाता है | ‘मनुष्य-जीवन’ प्रकृति का दुर्लभ, अति सुन्दर तथा सर्वश्रेष्ठ उपहार है | आत: इसे सत्यम , शिवम् ,सुद्ररम के आधार पर जीने क प्रयास करना चाहिये | हमारी आधुनिक जीवन-शैली, कैसी हों गयी है इसके कुछ विवरण से हम सब को यह जानकारी मिलती है कि -

“हमने  ऊंचे-ऊंचे भवन बना लिए, लेकिन हमें छोटी सी बात पर गुस्सा आ जाता है | हमने आने-जाने के लिए खूब चौड़े मार्ग तो बना लिए लेकिन हम संकुचित विचारों से बुरी तरह ग्रस्त हैं | हम अनावश्यक खर्च करते हैं और बदले में काम बहुत कम होता है | हम खरीदते बहुत अधिक हैं किन्तु आनंद कम उठा पाते हैं | हमारे घर बहुत बड़े बड़े हैं किन्तु उन मे रहने वाले परिवार छोटे हैं | हमारे पास सुविधाएं बहुत हैं किन्तु समय कम| हमारे पास डिग्रियां बहुत हैं लेकिन “कार्य-बोध” बहुत कम| हमारे पास ज्ञान बहुत है लेकिन ठीक निर्णय लेने की क्षमता कम है| हम बहुत निपुण हैं लेकिन समस्याओं में उलझे रहते हैं | हमारे पास दवाईयां अधिक हैं किन्तु स्वास्थ्य कम है |

हम अधिक खाते-पीते हैं किन्तु हँसते कम हैं | तेज़ गाड़ी चलाते हैं और जल्दी नाराज़ हों जाते हैं | रात देर तक जागते हैं और सुबह थकान के साथ उठते हैं| कम पढ़ते हैं और अधिक टी.वी. देखते हैं | हम प्रार्थना कम करते हैं और दूसरों से घृणा और नफ़रत अधिक | हमने रहने का तरीका सीख लिया है किन्तु हमें जीना नहीं आया | हम चाँद पर जा कर लौट आये लेकिन पड़ोसी से नहीं मिलते | हमने बाहरी क्षेत्र जीत लिये  किन्तु भीतर से टूटे और हारे हुए हैं | हमने बड़े बड़े काम किये किन्तु बेहतर नहीं| हमने घर-कोठियां बहुत साफ़ कर लिए लेकिन आत्मा दूषित कर ली| हमने ‘अणु’ पर विजय प्राप्त कर ली लेकिन अहंकार से हार गए | हम लिखते अधिक हैं लेकिन समझते कम हैं| हम योजनायें अधिक बनाते हैं पर उन्हें पूर्ण कम ही करते हैं| हम दौड़ते अधिक हैं और इंतज़ार कम करते हैं |

यह समय है अधिक फास्ट फ़ूड (FAST  FOOD) का, कम हाजमे का |  फास्ट फ़ूड (FAST  FOOD) का ठीक अर्थ शायद “व्रत का खाना” अर्थात फल, जूस, सलाद, दूध आदि है | ऊंचे लोग हैं पर नैतिकता में भारी कमी | हम अधिक लाभ की सोचते हैं और रिश्तों को खोते जा रहे हैं| यह समय है दोहरी आय का किन्तु अधिक तलाक़ का, खूबसूरत मकानों का और टूटे रिश्तों का | यह समय है जल्दी यात्रा का और मुश्किल से एक रात रुकने का |

हमारी ‘जीवन-शैली’ कितनी बुरी तरह बिगड़ी और बिखरी हई है इस बात का शायद हमें अंदाजा भी नहीं, और इस बिखराव के कारण हमें कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है और चुकानी पड़ेगी, इस बात को समझने में शायद अभी सदियाँ लगेंगी| फिर भी, क्योंकि ‘मनुष्य-जीवन’ हमारे पास प्रकृति की एक अमूल्य धरोहर और उपहार है, इसलिए हमें इसको सुसभ्य ढंग से जीने की कला अवश्य सीखनी चाहिए और अपनानी चाहिए अन्यथा हमारी की बहुत हानी होगी| “परम पूजनीय भगवान् देवात्मा” (विज्ञान-मूलक धर्म्म के संस्थापक) जो मनुष्य की ‘आत्मिक-गठन’ और “विज्ञान एवं प्रकृति-मूलक सत्य-धर्म” के मर्मज्ञ हैं तथा मनुष्य-आत्मा के सत्य-लक्ष्य का अद्वितीय ज्ञान तथा बोध देने वाले हैं तथा अपनी अद्वितीय देव प्रेरणाओं तथा देव जीवन से जीवंत-दृष्टान्त देने वाले हैं, जिन्हें प्रकृति (NATURE) ने परम-शिक्षक, परम-गुरु, परम-नेता तथा जीवन-पथ दर्शक के रूप में सुशोभित किया है---- फरमाते हैं कि मनुष्य को नैतिकता से ओत-प्रोत सत्य और शुभ पर आधारित जीवन जीना चाहिए | अपने ‘आत्म-जीवन’ का विज्ञान-मूलक सत्य-ज्ञान तथा बोध पाना चाहिए | अपने जीवन का सत्य-लक्ष्य जान कर उसकी सफलता हेतु जीने का संग्राम करना चाहिए| ‘धर्म-जीवन’ पाने के लिए अद्वितीय ‘आदर्श-जीवन धारी’

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