hey friend please explain Surdas ke pad class 10th ke liye part II
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सूरदास के पद 2
भावार्थ :- गोपिया उद्धव से अपनी पीड़ा बताते हुए
कह रही है कि श्री कृष्ण के गोकुल छोड़कर चले जाने के उपरांत , उनके मन में स्थित कृष्ण के प्रति-भावना मन में ही रह गई है । वे सिर्फ इसी आशा से अपने तन-मन की पीड़ा को सह रही थीं कि जब कृष्ण वापस लौटेंगे ,तो वे अपने प्रेम को कृष्ण के समक्ष व्यक्त करेंगे और कृष्ण के प्रेम की भागीदार बनेंगी। परंतु जब उन्हें कृष्ण का योग-संदेश मिला ,जिसमें उन्हें पता चला कि वेअब लौट कर नहीं आएंगे , तो इस संदेश को सुनकर गोटियां टूट-सी गई और उनकी विरह की व्यथा और बढ़ गई।
अब तो उनके विरह सहने का सहारा भी उनसे छिन गया अर्थात अब श्रीकृष्ण वापस लौटकर नहीं आने वाले हैं और इसी कारण अब उनकी प्रेम- भावना कभी संतुष्ट होने वाली नहीं है ।उन्हें कृष्ण के रूप सौंदर्य को दोबारा निहारने का मौका नहीं मिलेगा । उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब वह हमेशा के लिए कृष्ण से बिछड़ चुकी हैं और किसी कारणवश गोपियों के अंदर जो धैर्य बसा हुआ था ,वह टूट चुका है ।इसी वजह से गोपियां वियोग में कह रहीं हैं कि श्री कृष्ण ने सारी लोक - मर्यादा का उल्लंघन किया है उन्होंने हमें धोखा दिया है।