Hey please any one write a निबंध on अवासीय विद्यालय की अचाईया एवं बुराइयां
Pleeeeeeessssssseeeeee
alplali48:
Please guys help me out
Answers
Answered by
10
हौस्टल का जीवन बहुत ही अलग किस्म का होता है घरवालों से दूर रहना पड़ता है । घरवालों का कोई नियंत्रण नहीं रेहता । उनकी ओर से पूर्ण स्वतन्त्रता रहती है । बचपन के दिये हुए संस्कार बहुत ही प्रबल होते हैं ।
घरवालों से दूर रहकर घरवालों के अनुदेशों का पूर्ण रूप से पालन करते हैं । अपने पर अनुशासन स्वयं ही लागू करते हैं । ऐसा करके उनसे दूर रहते हुए भी हम उनसे जुड़े रहना चाहते हैं । उनका सान्निध्य प्राप्त करते हैं ।
शिक्षा सत्र के बीच में ही मेरे पिताजी का स्थानान्तरण हो गया था । मेरे स्कूल से स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र लेना सम्भव न था । अत: यह निर्णय किया गया कि मुझे होस्टल में प्रवेश करवा दिया जाए । प्रिंसिपल मे बात की गई । मुझे होस्टल में कमरा मिल गया । मैं अपनी पुस्तकें, बिस्तर, वर्तन और आवश्यकता की अन्य वस्तुएँ लेकर होस्टल पहुँच गया ।
मुझे लगा कि मैं अल्प आयु में ही घरवालों से स्वतंत्र तथा आत्मनिर्भर हो गया हूँ । मुझे बहुत अजीब लगा । जब मेरे मम्मी-पापा मुझे होस्टल में छोड़ने आए तो होस्टल के आस-पड़ोस के लड़के उनसे मिले । मेरे मम्मी-पापा उदास हो रहे थे ।
उन्होंने मेरे मम्मी-पापा को विश्वास दिलाया कि अब वे मेरी चिन्ता न करें । मेरा वे पूर्ण ध्यान रखेंगे । मम्मी-पापा के चले जाने के बाद मैं उदास हो गया । मेरी आँखों में आँसू भी आ गए । उन्होंने मुझे सांत्वना दी और काफी देर तक मेरे पास बैठे रहे ।
अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो यह पहला अवसर था, जब कोई भी घरवाला मेरे पास नहीं था । वहाँ क्या, वे तो शहर में ही नहीं थे । वे रात की गाड़ी से जा चुके थे । पिताजी को नये शहर के कार्यालय में ड्यूटी ग्रहण करनी थी । मुझे मम्मी बहुत याद आई । माताजी मुझे छ: बजे जगा दिया करती थी । घड़ी देखी ।
छ: बजने में दस मिनट थे । मैं उठ खड़ा हुआ । मैं मम्मी से बहुत प्यार करता था । मुझे लगा कि उनकी अनुपस्थिति में उठकर मैंने उनकी आज्ञा का पालन किया है । तभी होस्टल के दो तीन लड़के आ गए । उनके हाथों में ब्रश, साबुन तथा वस्त्र थे ।
घरवालों से दूर रहकर घरवालों के अनुदेशों का पूर्ण रूप से पालन करते हैं । अपने पर अनुशासन स्वयं ही लागू करते हैं । ऐसा करके उनसे दूर रहते हुए भी हम उनसे जुड़े रहना चाहते हैं । उनका सान्निध्य प्राप्त करते हैं ।
शिक्षा सत्र के बीच में ही मेरे पिताजी का स्थानान्तरण हो गया था । मेरे स्कूल से स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र लेना सम्भव न था । अत: यह निर्णय किया गया कि मुझे होस्टल में प्रवेश करवा दिया जाए । प्रिंसिपल मे बात की गई । मुझे होस्टल में कमरा मिल गया । मैं अपनी पुस्तकें, बिस्तर, वर्तन और आवश्यकता की अन्य वस्तुएँ लेकर होस्टल पहुँच गया ।
मुझे लगा कि मैं अल्प आयु में ही घरवालों से स्वतंत्र तथा आत्मनिर्भर हो गया हूँ । मुझे बहुत अजीब लगा । जब मेरे मम्मी-पापा मुझे होस्टल में छोड़ने आए तो होस्टल के आस-पड़ोस के लड़के उनसे मिले । मेरे मम्मी-पापा उदास हो रहे थे ।
उन्होंने मेरे मम्मी-पापा को विश्वास दिलाया कि अब वे मेरी चिन्ता न करें । मेरा वे पूर्ण ध्यान रखेंगे । मम्मी-पापा के चले जाने के बाद मैं उदास हो गया । मेरी आँखों में आँसू भी आ गए । उन्होंने मुझे सांत्वना दी और काफी देर तक मेरे पास बैठे रहे ।
अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो यह पहला अवसर था, जब कोई भी घरवाला मेरे पास नहीं था । वहाँ क्या, वे तो शहर में ही नहीं थे । वे रात की गाड़ी से जा चुके थे । पिताजी को नये शहर के कार्यालय में ड्यूटी ग्रहण करनी थी । मुझे मम्मी बहुत याद आई । माताजी मुझे छ: बजे जगा दिया करती थी । घड़ी देखी ।
छ: बजने में दस मिनट थे । मैं उठ खड़ा हुआ । मैं मम्मी से बहुत प्यार करता था । मुझे लगा कि उनकी अनुपस्थिति में उठकर मैंने उनकी आज्ञा का पालन किया है । तभी होस्टल के दो तीन लड़के आ गए । उनके हाथों में ब्रश, साबुन तथा वस्त्र थे ।
Similar questions