Social Sciences, asked by Đïķšhä, 1 year ago

HI GUYS

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Answered by ShaadabShamim
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Kālidāsa was a Classical Sanskrit writer, widely regarded as the greatest poet and dramatist in the Sanskrit language of India. His plays and poetry are primarily based on the Vedas, the Mahabharata and the Puranas.

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Answered by shivam947
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कालिदास संस्कृत भाषा के एक महान नाटककार और कवि थे। कालिदास शिव के भक्त थे। कालिदास नाम का शाब्दिक अर्थ है, “काली का सेवक“। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की।





महान कवी कालिदास की जीवनी – Kalidas Biography In Hindi
पूरा नाम – कालिदास – Kalidas
जन्म     – पहली से तीसरी शताब्दी के बीच ईस पूर्व माना जाता है।
जन्मस्थान – जन्मस्थान के बारे में विवाद है।
विवाह    –  राजकुमारी विद्योत्तमा से।



कलिदास अपनी अलंकार युक्त सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष से जाने जाते हैं। उनके ऋतु वर्णन बहुत ही सुंदर हैं और उनकी उपमाएं बेमिसाल हैं। संगीत उनके साहित्य का प्रमुख है और रस का सृजन करने में उनकी कोई उपमा नहीं। उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी साहित्यिक सौन्दर्य के साथ-साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है। उनका नाम सदा-सदा के लिये अमर है और उनका स्थान वाल्मीकि और व्यास की परम्परा शामिल हैं।

कालिदास के काल के विषय में काफी मतभेद है। पर अब विव्दानों की सहमति से उनका काल प्रथम शताब्दी ई. पू. माना जाता है। इस मान्यता का आधार यह है कि उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य के शासन काल से कालिदास का रचनाकाल संबध्द है।

किंवदन्ती है कि प्रारंभ में कालिदास मंदबुध्दी तथा अशिक्षित थे। कुछ पंडितों ने जो अत्यन्त विदुषी राजकुमारी विद्योत्तमा से शास्त्रार्थ में पराजित हो चुके थे। बदला लेने के लिए छल से कालिदास का विवाह उसके साथ करा दिया। विद्योत्तमा वास्तविकता का ज्ञान होने पर अत्यन्त दुखी तथा क्षुब्ध हुई। उसकी धिक्कार सुन कर कालिदास ने विद्याप्राप्ति का संकल्प किया तथा घर छोड़कर अध्ययन के लिए निकल पड़े और विव्दान बनकर ही लौटे।

जिस कृति कारण कालिदास को सर्वाधिक प्रसिध्दि मिली। वह है उनका नाटक ‘अभिग्यांशाकंतलम’ जिसका विश्व की अनेक भाषाओँ में अनुवाद हो चुका है। उनके दुसरे नाटक ‘विक्रमोर्वशीय’ तथा ‘मालविकाग्निमित्र’ भी उत्कृष्ट नाट्य साहित्य के उदाहरण हैं। उनके केवल दो महाकाव्य उपलब्ध हैं – ‘रघुवंश’ तथा ‘कुमारसंभव’ पर वे ही उनकी कीर्ति पताका फहराने के लिए पर्याप्त हैं। काव्यकला की दृष्टि से कालिदास  का ‘मेघदूत’ अतुलनीय है। इसकी सुन्दर सरस भाषा, प्रेम और विरह की अभिव्यक्ति तथा प्रकृति चित्रण से पाठक मुग्ध और भावविभोर हो उठते हैं। ‘मेघदूत’ का भी विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चूका है। उनका ‘ऋतु संहार’ प्रत्येक ॠतु के प्रकृति चित्रण के लिए ही लिखा गया है।
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