hii frnds l want some information about Demoiselle crane which is a migratory bird & I want it hindi plz ............
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प्रवासी पक्षी (डेमोइसेल क्रेन) को स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हैं। कुरजां अधिकतर बीकानेर संभाग और जोधपुर संभाग के गांवों में तालाबों पर पानी पीने के लिए आती हैं। ये पक्षी साइबेरिया से ईरान, अफगानिस्तान आदि देशों से होते हुए भारत में प्रतिवर्ष आते हैं। छापर का तालाब और घाना पक्षी विहार भरतपुर में ये आना अधिक पसन्द करते हैं।
Riddhisha:
thanks
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कुरजां ( डेमोसिल क्रेन ) एक प्रवासी पक्षी है ,जो हजारों किलोमीटर लम्बा सफर तय करती है । ये पक्षी साइबेरिया से ईरान, अफगानिस्तान आदि देशों से होते हुए भारत में प्रतिवर्ष आते हैं।
कुरजां एक खूबसूरत पक्षी है जो सर्दियों में साइबेरिया से ब्लैक समुद्र से लेकर मंगोलिया तक फैले प्रदेश से हिमालय की ऊंचाइयों को पार करता हुआ हमारे देश में आता है। - सर्दियां हमारे मैदानों और तालाबों के करीब गुजारने के बाद वापस अपने मूल देश में लौट जाता है। अपने लंबे सफर के दौरान यह पांच से आठ किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ता है। - राजस्थान में हर साल लगभग पचास स्थानों पर कुरजां पक्षी आते हैं, लेकिन इनकी सबसे बड़ी संख्या खीचन में ही दिखाई देती है। कुरजां यहां के परिवेश में इतना घुलमिल गया है कि इस पर कई लोकगीत बन चुके है। यहां इनके बच्चे होते है और उनके बड़े होते ही ये उड़ान भर लेते है।
खासियत की बात यह है कि साइबेरिया से लेकर मारवाड़ तक का करीब छह हजार किलोमीटर लम्बा सफर तय करने वाले ये पक्षी न तो अपनी राह भटकते है और न ही इनके यहां पहुंचने का समय गड़बड़ाता है। कुछ बरस से ये पक्षी ठीक तीन सितम्बर को यहां पहुंचते है ।
कुदरत ने पक्षियों को कुछ विशेष क्षमता प्रदान की है। इस क्षमता के बल पर कुरजां साइबेरिया के मौसम में शुरू होने वाले बदलाव को पहले से जान लेती है कि अब मौसम बदलने वाला है। - मौसम में बदलाव शुरू होते ही हजारोंं की तादात में कुरजां भारतीय मैदानों की तरफ उड़ान भरना शुरू कर देती है।
इन पक्षियों की टाइमिंग की गणना इतनी सटीक है कि इतने लम्बे सफर में एक दिन भी ऊपर-नीचे नहीं होता।
Hope it helps
कुरजां एक खूबसूरत पक्षी है जो सर्दियों में साइबेरिया से ब्लैक समुद्र से लेकर मंगोलिया तक फैले प्रदेश से हिमालय की ऊंचाइयों को पार करता हुआ हमारे देश में आता है। - सर्दियां हमारे मैदानों और तालाबों के करीब गुजारने के बाद वापस अपने मूल देश में लौट जाता है। अपने लंबे सफर के दौरान यह पांच से आठ किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ता है। - राजस्थान में हर साल लगभग पचास स्थानों पर कुरजां पक्षी आते हैं, लेकिन इनकी सबसे बड़ी संख्या खीचन में ही दिखाई देती है। कुरजां यहां के परिवेश में इतना घुलमिल गया है कि इस पर कई लोकगीत बन चुके है। यहां इनके बच्चे होते है और उनके बड़े होते ही ये उड़ान भर लेते है।
खासियत की बात यह है कि साइबेरिया से लेकर मारवाड़ तक का करीब छह हजार किलोमीटर लम्बा सफर तय करने वाले ये पक्षी न तो अपनी राह भटकते है और न ही इनके यहां पहुंचने का समय गड़बड़ाता है। कुछ बरस से ये पक्षी ठीक तीन सितम्बर को यहां पहुंचते है ।
कुदरत ने पक्षियों को कुछ विशेष क्षमता प्रदान की है। इस क्षमता के बल पर कुरजां साइबेरिया के मौसम में शुरू होने वाले बदलाव को पहले से जान लेती है कि अब मौसम बदलने वाला है। - मौसम में बदलाव शुरू होते ही हजारोंं की तादात में कुरजां भारतीय मैदानों की तरफ उड़ान भरना शुरू कर देती है।
इन पक्षियों की टाइमिंग की गणना इतनी सटीक है कि इतने लम्बे सफर में एक दिन भी ऊपर-नीचे नहीं होता।
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