Hind mahasagar main Bharat ki kendriye isthti se kya laabh prapt hue hai
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Hind mahasagar main Bharat ki kendriye isthti se kya laabh prapt hue hai
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हिंद महासागर में भारत की केंद्रीय स्थिति से इसे किस प्रकार लाभ प्राप्त हुआ है?
दक्षिण का पठार हिन्द महासागर में शीर्षवत फैला हुआ है और पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों के साथ-साथ पूर्व एशिया के देशो में भी पूर्वी तट के माध्यम से निकटतम सम्बन्ध बनाए हुए है। हिन्द महासागर में किसी भी देश की तटीय सीमा भारत जैसी नहीं है। भारत की इसी महत्वपूर्ण स्थिति के कारण एक महासागर का नाम इसके नाम पर रखा गया है। हिन्द महासागर में भारत की केंद्रीय स्थिति से इसे निम्न प्रकार लाभ प्राप्त हुआ है:
(i) भारत का विश्व के देशों के साथ युगों पुराना सम्बन्ध है परन्तु समुद्री मार्गों की अपेक्षा स्थलीय मार्गो से उसके सम्बन्ध अधिक पुराने है।
(ii) इन मार्गों से विचारो और वस्तुओं का आदान-प्रदान होता रहा उपनिषदो के विचार, रामायण तथा पंचतंत्र की कहानिया, भारतीय अंक एवं दसमलव प्रणाली आदि संसार के विभिन्न भागो तक पहुँच सकी। मसाले, मलमल आदि कपड़े तथा व्यापार के अन्य सामान भारत से विभिन्न देशों में ले जाये जाते थे।
(iii) उत्तर में परवर्तीय दर्रे विदेशियों और प्राचीन यात्रियों को मार्ग प्रदान कर रहे थे। भारत की उपजाऊ घाटी ने बहुत से विदेशियों और विजेताओं को अपनी ओर आकर्षित किया।
(iv) मध्यकाल में आने वाले मंगोलो, तुर्को अरबों और पारसियों ने भारत में स्थापत्य कला को समृद्ध किया यूनानी स्थापत्यकला तथा पश्चिमी एशिया की वास्तुकला के प्रतीक मीनारों और गुलबंदो का प्रभाव हमारे देश के विंभिन्न भागों में देखा गया।