Hindi bhasha ka mahatva par lek ya kavita ya aanuchad
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हिन्दी मेरी भाषा है,
हिन्दी मेरी आशा है।
हिन्दी का उत्थान करना,
यही मेरी जिज्ञासा है।
हिन्दी की बोली अनमोल,
एक शब्द के कई विलोम।
हिन्दी हिन्द हिमालय पर शोभित,
हर्षित होते बोल के सोम।
मीठी बोली अद्भुत बाणी संग,
बढ़ती प्रेम पिपासा है।
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Answer:
भारत के जन – जन का उद्गार है हिंदी,
हर इक के दिलो को जोड़ने का तार है हिंदी।
हर ओठों को, मुस्कान मिले जी भर,
ईश्वर का दिया गया अनुपम उपहार है हिंदी।।
बिहारी, केशव, भूषण का रीतिवाद है हिंदी,
स्थूल से सूक्ष्म तक रहस्यवाद जानने का,
प्रसाद, निराला, पन्त का ‘छायावाद‘ है हिंदी।
आती और जाती, सुबह – शाम है हिंदी,
हर लक्ष्य को पाने का मुकाम है हिंदी।
पी लो जितना चाहे दिन – रात छककर,
बच्चन की मधुशाला का छलकता जाम है हिंदी।
गीता, कुरान व बाईबिल का सार है हिंदी,
सुविसित गुलाब के फूलों का हार है हिंदी।
नहा लो चाहे जी भर प्यार से,
गंगा की बहती निर्मल धार है हिंदी।
हिन्दू, मुश्लिम, सिक्ख व ईसाईयों का संसार है हिंदी,
आपस में भाईचारा बढ़ाने का आधार है हिंदी।
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