Hindi bhavartha of the poem utho dhara ke amar saputo
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उठो धरा के अमर सपूतो : द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी द्वारा लिखी गई , इस कविता में कवि ने देश के सुपूतों को नवनिर्माण करने का संदेश दिया है।
हे मातृभूमि के पुत्रों, तुमने इस देश को स्वतंत्रता करने के लिए बड़ा संघर्ष किया है, और हमेशा विजय पा कर वापिस आए हो | अपने देश का झंडा लहराया है |
सचमुच, तुम भारत माता के सपूत हो, लेकिन अभी तुम्हें बहुत करना है | युग-युग से पराधीनता में रहते-रहते यहाँ के देशवासियों के हृदयों में निराशा मर गई है | जागों तुम्हें सबके मुंह से निराशा दूर करनी है , आशा बढ़ानी है |
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