Hindi, asked by agnel, 1 year ago

hindi essay on agar pani na hota

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Answered by Chirpy
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           पानी हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। पानी पीने, खाना पकाने, कपड़े धोने आदि के लिए बहुत जरुरी है। इसीलिए संसार की सबसे पहली सभ्यताओं का जन्म नदियों के किनारे हुआ, जहाँ उनको जल की सुविधा उपलब्ध थी। जल एक किसान के लिए अत्यंत मूल्यवान है। बिना पानी के खेती नहीं हो सकती।

          हाल में जब दिल्ली में पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई और लोगों को दिन भर पानी के बिना रहना पड़ा, उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि 'जल है सोना इसे न खोना'। सुबह ब्रश करने से लेकर, नहाने आदि काम करने में उन्हें परेशानी हुई। उन्हें ज्ञात हुआ कि जल का हमारी दिनचर्या में कितना अधिक महत्त्व है। उन्हें यह समझ में आया कि जल सच में एक अमूल्य साधन है जिसका हमें बहुत संभालकर उपयोग करना चाहिए।

      यदि पानी न होता तो हमारे अनेक काम संपूर्ण नहीं होते। जल उपज के लिए अत्यंत आवश्यक है। उसके बिना हमारे खेत सूखे पड़े रह जाते और मिट्टी उपजाऊ नहीं होती।

      यदि पानी न होता तो हमारी जलवायु शुष्क हो जाती। अनेक पशु पक्षियों को जल न मिलता। सुंदर बगिया और रंग बिरंगे फूल देखने को नहीं मिलते। नदियों में पानी कम हो जाता। विद्युत् उत्पन्न करने एवं अन्य उद्योगिक कामों के लिए जल न प्राप्त होता। जल से हमारा जीवन हरा भरा है। उसके बिना धरती मरुस्थल बन जाती।



Answered by alamsahzad44
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Answer:

“जल है तो कल है”, बावजूद इसके जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। हम हमेशा से सुनते आये हैं “जल ही जीवन है”। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है जल, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल। धरती का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किन्तु इसमें से 97% पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है, पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3% है। इसमें भी 2% पानी ग्लेशियर एवं बर्फ के रूप में है। इस प्रकार सही मायने में मात्र 1% पानी ही मानव के उपयोग हेतु उपलब्ध है।

नगरीकरण और औद्योगिकीरण की तीव्र गति व बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है, लेकिन हम हमेशा यही सोचते हैं बस जैसे तैसे गर्मी का सीजन निकाल जाये बारिश आते ही पानी की समस्या दूर हो जायेगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं।

आगामी वर्षों में जल संकट की समस्या और अधिक विकराल हो जाएगी, ऐसा मानना है विश्व आर्थिक मंच का। इसी संस्था की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दुनियाभर में 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग पानी की कमी की संकटों से जूझ रहे हैं। 22 मार्च को मनाया जाने वाला ‘विश्व जल दिवस’ महज औपचारिकता नहीं है, बल्कि जल संरक्षण का संकल्प लेकर अन्य लोगों को इस संदर्भ में जागरुक करने का एक दिन है।

शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता और संबंधित ढेरों समस्याओं को जानने के बावजूद देश की बड़ी आबादी जल संरक्षण के प्रति सचेत नहीं है। जहां लोगों को मुश्किल से पानी मिलता है, वहां लोग जल की महत्ता को समझ रहे हैं, लेकिन जिसे बिना किसी परेशानी के जल मिल रहा है, वे ही बेपरवाह नजर आ रहे हैं। आज भी शहरों में फर्श चमकाने, गाड़ी धोने और गैर-जरुरी कार्यों में पानी को निर्ममतापूर्वक बहाया जाता है।

प्रदूषित जल में आर्सेनिक, लौहांस आदि की मात्रा अधिक होती है, जिसे पीने से तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में 86 फीसदी से अधिक बीमारियों का कारण असुरक्षित व दूषित पेयजल है। वर्तमान में करीब 1600 जलीय प्रजातियां जल प्रदूषण के कारण लुप्त होने के कगार पर हैं, जबकि विश्व में करीब 1.10 अरब लोग दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं और साफ पानी के बगैर अपना गुजारा कर रहे हैं।

ऐसी स्थिति सरकार और आम जनता दोनों के लिए चिंता का विषय है। इस दिशा में अगर त्वरित कदम उठाते हुए सार्थक पहल की जाए तो स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में रखी जा सकती है, अन्यथा अगले कुछ वर्ष हम सबके लिए चुनौतिपूर्ण साबित होंगे

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