hindi essay on changing waste into wealth
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हर दिन हम अपने घर में रसोई के कम में बहुत कूड़ा उत्पन्न कर देते हैं। और दफ्तरों और उद्योगों में भी अलग तरह का कूड़ा निकलता
है। हम इस कूडे को इधर उधर फेंकते हैं। इसको
हटाने के विपुल प्रबंधन कराते हैं। मालूम है , हर दिन हजारों मेट्रिक टन के कूड़ा पैदा होता है बड़े शेरॉन
में। इसको फेंकने के लिए कुछ भूमि की भी जरूरत
पड़ती है।
हम कूडे को जलाकर राख़ कर सकते हैं। फिर भी उसके लिए ईंधन की इस्तेमाल करना पड़ेगा और उससे प्रदूषण फैलेगी। कूदे के ढेर के आसपास कोई रहना नहीं चाहता। मच्छर वाइरस और किटानों पैदा हो जाएंगे उधर और इन से हमें खतरा हो सकता है।
हमें आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करके कूडे का प्रबंधन भी और उससे कुछ आमदनी भी कमा लेना चाहिए। हर तरीके के कूड़ा अलग अलग करके जमा कराना चाहिए। अलग अलग कूदे के डिब्बे या टंकी रखने से यह आससन हो जाएगा। कागज, बैयो-वेस्ट, रबर, शीशे इनको संग्रह करके ईंधन के रूप में उद्योगों में इस्तेमाल कर सकते हैं। या कूदे को गरम करके द्रव बनाके, फिर उससे नई नई वस्तु बना सकते है। पोलिथीन और प्लास्टिक की चीजें भी संग्रह करना चाहिए। कुछ तेल और कागज के कार्टन ऐसे ही बनते हैं। जितना तक हो सके, बिआओ-दीग्रेडबुल पदार्थ का इस्तेमाल करने चाहिए।
आगे जाकर हमारे विज्ञान, तकनीक, और कूडे के संबंध में कुछ नए प्रौद्योगिकी तरीकें डूंढ लेना है ।
हम कूडे को जलाकर राख़ कर सकते हैं। फिर भी उसके लिए ईंधन की इस्तेमाल करना पड़ेगा और उससे प्रदूषण फैलेगी। कूदे के ढेर के आसपास कोई रहना नहीं चाहता। मच्छर वाइरस और किटानों पैदा हो जाएंगे उधर और इन से हमें खतरा हो सकता है।
हमें आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करके कूडे का प्रबंधन भी और उससे कुछ आमदनी भी कमा लेना चाहिए। हर तरीके के कूड़ा अलग अलग करके जमा कराना चाहिए। अलग अलग कूदे के डिब्बे या टंकी रखने से यह आससन हो जाएगा। कागज, बैयो-वेस्ट, रबर, शीशे इनको संग्रह करके ईंधन के रूप में उद्योगों में इस्तेमाल कर सकते हैं। या कूदे को गरम करके द्रव बनाके, फिर उससे नई नई वस्तु बना सकते है। पोलिथीन और प्लास्टिक की चीजें भी संग्रह करना चाहिए। कुछ तेल और कागज के कार्टन ऐसे ही बनते हैं। जितना तक हो सके, बिआओ-दीग्रेडबुल पदार्थ का इस्तेमाल करने चाहिए।
आगे जाकर हमारे विज्ञान, तकनीक, और कूडे के संबंध में कुछ नए प्रौद्योगिकी तरीकें डूंढ लेना है ।
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