Hindi essay on children's day in 400 words
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बाल दिवस महान नेता पं. जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस 14 नवंबर को मनाया
जाता है। पं. नेहरू महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था । 15 अगस्त, 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तो नेहरू जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने । उन्होंने देश को उन्नतिशील बनाया । उन्हें बच्चों से प्रगाढ़ लगाव था । वे बच्चों में देश का भविष्य देखते थे । बच्चे भी उनसे अपार स्नेह रखते थे । अत: उनके जन्मदिवस 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा ।
बाल दिवस बच्चों का पर्व है । यह पर्व देश के बच्चों को समर्पित है । बच्चे देश के भविष्य हैं, अत: इनके विकास के बारे में चिंतन करना तथा कुछ ठोस प्रयास करना देश की जिम्मेदारी है । देश का समुचित विकास बच्चों के विकास के बिना संभव नहीं है । बच्चों को शिक्षित बनाने, बाल श्रम पर अंकुश लगाने, उनके पोषण का उचित ध्यान रखने तथा उनके चारित्रिक विकास के लिए प्रयासरत रहने से बच्चों का भविष्य सँवारा जा सकता है । बाल दिवस बच्चों के कल्याण की दिशा में उचित प्रयास करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है ।
बच्चे बाल दिवस की तैयारियों में हफ्तों से जुटे होते हैं । वे नाटक खेलने तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियाँ करते हैं । स्कूलों में इसके लिए बच्चों से अभ्यास कराया जाता है । वे स्कूल को सजाते हैं क्योंकि स्कूल उनके लिए विद्या का मंदिर होता है । वे मंच तैयार करते हैं तथा झंडियाँ लगाते हैं । वे बाल मेले के आयोजन की तैयारी करते हैं । उनके अंदर उत्साह देखते ही बनता है ।
बाल दिवस बच्चों के लिए ढेर सारी खुशियाँ लेकर आता है । बच्चे सुबह-सुबह ही स्कूल पहुँच जाते हैं । वहाँ से वे पंक्तिबद्ध होकर गली-मोहल्लों और सड़कों पर नारे लगाते निकलते हैं । वे समाज को बच्चों के अधिकारों के प्रति सचेत करते हैं । वे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाते हैं । उनके समवेत स्वर से बाल श्रम के विरुद्ध संघर्ष की झलक सुनाई देती है ।
नारे लग गए, अब पेट पूजा जरूरी है । इसके लिए स्कूल में अच्छा-खासा प्रबंध है । बच्चों के लिए टॉफियाँ, मिठाइयाँ, बिस्कुट एवं फल हैं । उधर बाल मेला भी है जिसमें बच्चों द्वारा बनाए गए तरह-तरह के पकवान बिक रहे हैं । पुस्तकों के लिए अलग से स्टॉल हैं । यहाँ ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी पुस्तकें बिक रही हैं । बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में संलग्न हैं । वे शिक्षकों के निर्देशों का स्वयंसेवक की तरह पालन कर रहे हैं । आज अनुशासन की बाध्यता नहीं है, फिर भी पूरा अनुशासन है । बच्चों को याद है कि हर क्षेत्र में अनुशासन के पालन से देश महान बनता है ।
बच्चों को पर्यावरण की बहुत फिक्र है । वे अपने ज्ञान को केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रखना चाहते, इसलिए वे पेड़ लगा रहे हैं । कोई फावड़ा चला रहा है तो कोई पौधों को सींच रहा है । लगाए गए पौधों की बाड़बंदी हो रही है ताकि पशु उन्हें नष्ट न कर सकें । कुछ बच्चे स्कूल तथा उसके आस-पास के क्षेत्र की सफाई में उत्साहित होकर जुटे हुए हैं ।
संध्याकाल में बाल दिवस के अवसर पर विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं । इसके लिए मंच सजा होता है । इस अवसर पर किसी विशिष्ट अतिथि को आमंत्रित किया जाता है । वे नियत समय पर आते हैं । माल्यार्पण के द्वारा छात्र उनका स्वागत करते हैं । प्रधानाचार्य उन्हें उचित आसन पर बिठाते हैं । सरस्वती वंदना से कार्यक्रम आरंभ होता है । फिर सामूहिक नृत्य, एकल नृत्य, प्रहसन, नाटिका, गायन, कविता पाठ आदि तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं । इससे प्रतिभागी बच्चों में धैर्य साहस नेतृत्व जैसे गुण विकसित होते हैं । दर्शक तालियाँ बजाकर बच्चों का उत्साह बढ़ाते हैं । अभिभावक अपने बच्चों को कार्यक्रम में भाग लेता देख फूले नहीं समाते । कार्यक्रम की समाप्ति पर अतिथि महोदय और प्रधानाचार्य का उद्बोधन होता है । बच्चों को उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया जाता है ।
इस तरह बाल दिवस विभिन्न प्रकार की हलचलों से परिपूर्ण होता है । इस दिन बच्चे अपने प्यारे चाचा नेहरू को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं । पं. नेहरू की समाधि ‘शांतिवन’ पर जाकर नेतागण और बच्चे उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं । वे नेहरू जी के आदर्शों का स्मरण करते हैं । सरकार नेहरू जी के सपनों का भारत बनाने के लिए संकल्प व्यक्त करती है । यह राष्ट्रीय पर्व हमें देश के नौनिहालों के लिए सार्थक कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है ।
जाता है। पं. नेहरू महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था । 15 अगस्त, 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तो नेहरू जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने । उन्होंने देश को उन्नतिशील बनाया । उन्हें बच्चों से प्रगाढ़ लगाव था । वे बच्चों में देश का भविष्य देखते थे । बच्चे भी उनसे अपार स्नेह रखते थे । अत: उनके जन्मदिवस 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा ।
बाल दिवस बच्चों का पर्व है । यह पर्व देश के बच्चों को समर्पित है । बच्चे देश के भविष्य हैं, अत: इनके विकास के बारे में चिंतन करना तथा कुछ ठोस प्रयास करना देश की जिम्मेदारी है । देश का समुचित विकास बच्चों के विकास के बिना संभव नहीं है । बच्चों को शिक्षित बनाने, बाल श्रम पर अंकुश लगाने, उनके पोषण का उचित ध्यान रखने तथा उनके चारित्रिक विकास के लिए प्रयासरत रहने से बच्चों का भविष्य सँवारा जा सकता है । बाल दिवस बच्चों के कल्याण की दिशा में उचित प्रयास करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है ।
बच्चे बाल दिवस की तैयारियों में हफ्तों से जुटे होते हैं । वे नाटक खेलने तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियाँ करते हैं । स्कूलों में इसके लिए बच्चों से अभ्यास कराया जाता है । वे स्कूल को सजाते हैं क्योंकि स्कूल उनके लिए विद्या का मंदिर होता है । वे मंच तैयार करते हैं तथा झंडियाँ लगाते हैं । वे बाल मेले के आयोजन की तैयारी करते हैं । उनके अंदर उत्साह देखते ही बनता है ।
बाल दिवस बच्चों के लिए ढेर सारी खुशियाँ लेकर आता है । बच्चे सुबह-सुबह ही स्कूल पहुँच जाते हैं । वहाँ से वे पंक्तिबद्ध होकर गली-मोहल्लों और सड़कों पर नारे लगाते निकलते हैं । वे समाज को बच्चों के अधिकारों के प्रति सचेत करते हैं । वे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाते हैं । उनके समवेत स्वर से बाल श्रम के विरुद्ध संघर्ष की झलक सुनाई देती है ।
नारे लग गए, अब पेट पूजा जरूरी है । इसके लिए स्कूल में अच्छा-खासा प्रबंध है । बच्चों के लिए टॉफियाँ, मिठाइयाँ, बिस्कुट एवं फल हैं । उधर बाल मेला भी है जिसमें बच्चों द्वारा बनाए गए तरह-तरह के पकवान बिक रहे हैं । पुस्तकों के लिए अलग से स्टॉल हैं । यहाँ ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी पुस्तकें बिक रही हैं । बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में संलग्न हैं । वे शिक्षकों के निर्देशों का स्वयंसेवक की तरह पालन कर रहे हैं । आज अनुशासन की बाध्यता नहीं है, फिर भी पूरा अनुशासन है । बच्चों को याद है कि हर क्षेत्र में अनुशासन के पालन से देश महान बनता है ।
बच्चों को पर्यावरण की बहुत फिक्र है । वे अपने ज्ञान को केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रखना चाहते, इसलिए वे पेड़ लगा रहे हैं । कोई फावड़ा चला रहा है तो कोई पौधों को सींच रहा है । लगाए गए पौधों की बाड़बंदी हो रही है ताकि पशु उन्हें नष्ट न कर सकें । कुछ बच्चे स्कूल तथा उसके आस-पास के क्षेत्र की सफाई में उत्साहित होकर जुटे हुए हैं ।
संध्याकाल में बाल दिवस के अवसर पर विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं । इसके लिए मंच सजा होता है । इस अवसर पर किसी विशिष्ट अतिथि को आमंत्रित किया जाता है । वे नियत समय पर आते हैं । माल्यार्पण के द्वारा छात्र उनका स्वागत करते हैं । प्रधानाचार्य उन्हें उचित आसन पर बिठाते हैं । सरस्वती वंदना से कार्यक्रम आरंभ होता है । फिर सामूहिक नृत्य, एकल नृत्य, प्रहसन, नाटिका, गायन, कविता पाठ आदि तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं । इससे प्रतिभागी बच्चों में धैर्य साहस नेतृत्व जैसे गुण विकसित होते हैं । दर्शक तालियाँ बजाकर बच्चों का उत्साह बढ़ाते हैं । अभिभावक अपने बच्चों को कार्यक्रम में भाग लेता देख फूले नहीं समाते । कार्यक्रम की समाप्ति पर अतिथि महोदय और प्रधानाचार्य का उद्बोधन होता है । बच्चों को उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया जाता है ।
इस तरह बाल दिवस विभिन्न प्रकार की हलचलों से परिपूर्ण होता है । इस दिन बच्चे अपने प्यारे चाचा नेहरू को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं । पं. नेहरू की समाधि ‘शांतिवन’ पर जाकर नेतागण और बच्चे उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं । वे नेहरू जी के आदर्शों का स्मरण करते हैं । सरकार नेहरू जी के सपनों का भारत बनाने के लिए संकल्प व्यक्त करती है । यह राष्ट्रीय पर्व हमें देश के नौनिहालों के लिए सार्थक कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है ।
prernachaudhary1:
o my god
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children day Pt. jawaharlal Nehru ka birthday vale din banaya jata h. aur is din ko bacha bhoat accha sae manate h. yeah har sal 14 November KO he manaya jata h.
Pt. Jawaharlal Nehru bhoat mahan sanani h.
Isko Hindi Mae Bal Divas kehta h.
yeah desh kae nacho ko samarpit h.
Bacha iski tayari Mae hafton sae jhut jatae h.
Aur phir isko bhoat accha sae banate h.
Pt. Jawaharlal Nehru bhoat mahan sanani h.
Isko Hindi Mae Bal Divas kehta h.
yeah desh kae nacho ko samarpit h.
Bacha iski tayari Mae hafton sae jhut jatae h.
Aur phir isko bhoat accha sae banate h.
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