Hindi essay on Diwali
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दीवाली या दीपावली भारत में मनायेजाने वाले सब त्योहारों में अति मुख्य है| दीवाली का अर्थ है दीपों की आवली (लाईन)| सब मत , जात, कुल , रंग भेद भाव छोड़कर सब लोग एक जैसे अमितानंद से मनाते हैं| बच्चे खासकर पटाके जलाने के उत्सुक होते हैं | नवंबर में अमावस्य (न्यू मून) के रात में लोग अपने घरों को दीपों की उजियाला से प्रकाश करते हैं| हिंसा और बुराई पर अच्छाई का विजय है दीवाली का सन्देश|
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दीपावली✔️
पूरे भारत वर्ष में दीपावली का त्योहार हर्ष - उल्लास के साथ मनाया जाता है। कई दिन पूर्व से ही इस त्योहार की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। वैसे यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, पर 'धनतेरस' से लेकर 'भैयादूज' तक इसका धूम रहता है। वर्षा काल में मकानों के अंदर और बाहर जो गंदगी इकट्ठी हो जाती है, उसे दूर फेंका जाता है। मकानों की मरम्मत द्वारा उनकी पुताई की जाती है। दरवाजों और खिड़कियों पर नए रंग - रोगन किया जाता है। घर और दुकानों को आकर्षक ढंग से घर जाता है इसलिए दीपावली को हम स्वच्छता का त्योहार भी कह सकते हैं। दीपावली हमारे देश का बहुत प्राचीन त्योहार है। कहा जाता है कि दीपावली के दिन श्रीरामचंद्र जो बनवास की अवधि समाप्त कर अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों का हदय उल्लास से भरा हुआ था। विजयी श्रीराम के स्वागत में अयोध्या नगर के निवासियों ने नगर को दीपमालाओं से प्रोग्रामिंग की थी। तब से दीपावली का त्योहार प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला लगा। यह खुशी - समृद्धि का त्योहार है। कृषि - प्रधान देश में इमफ़ की फ़सल इस समय तक कटकर घर आ जाती है। लोगों का घर अन्न से भर जाता है और वे हर्षपूर्वक दीपावली मनाकर समृद्धि की देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं। दीपावली का त्योहार वास्तव में प्रकाश और आनंद का त्योहार है। इस अवसर पर घरों में अच्छी - अच्छी मिठाइयाँ और कोमल बनते हैं। बाजार से खील, बताशे, मिठाइयाँ, खिलौने, गणेश - लक्ष्मी की मूर्तियाँ सञ्चा अन्य सजावटी सामान जाता है। दीपावली के दिन सायंकाल गणेश - लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दुकानदार अपनी - अपनी दुकानों पर लक्ष्मी- गणेश का पूजन करते हैं। इसी समय मकानों और दुकानों पर रंग - बिरंगी रोशनी की जाती है। चारों ओर और बच्चे रंगीन प्रकाश में खुशी के मारे इधर - उधर घूमते हैं। शहरों में बिजली की रोशनी से सजावट को जाता है। अमावस्या के गहन अंधकार के बीच छोटे - छोटे मनोमुग्धकारी दीपों को मालाएँ बहुत आकर्षक लगती हैं। इसी दृश्य को महादेवी वर्मा ने इस प्रकार वर्णित किया है कि "नभ मना रहा है तिमिर पर्व, धरती रति आलोक छंद।"दीपावली के अवसर पर लोग अपने स्नेहिल - जनों और संबंधियों को उपहार, मिठाइयाँ और मेवे देते हैं। शुभकामना पत्र भेजने की भी परंपरा है। दीपावली की सारी रात चहल - पहल रहती है। दीपावली के दूसरे दिन अन्न - कूट और तीसरे दिन भैया दूज के त्योहार मनाए जाते हैं। इस पवित्र त्योहार के साथ बुराइयाँ भी जुड़ गए हैं। खतरनाक आतिशबाजी के कारण कई दुर्घटनाएं हो जाती हैं। इस त्योहार पर कुछ लोग जुआ भी खेलते हैं, जिसके कारण कई परिवार नष्ट हो जाते हैं। यह कुप्रथा से छुटकारा पाना आवश्यक है। दीपावली आपसी प्रेम और एकता का पर्व है।