Hindi essay on dudh ka dudh paani ka paani muhavra
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HEY MATE!!!
दुनिया में हर तरह के भाई-बहन होते हैं जो एक दूसरे की मदद करते हैं और जो एक दूसरे की शिकायत भी करते हैं। कई सत्यवादी होते हैं तो कई बेईमान । थोड़े अपने माता-पिता के जैसे होते हैं तो कई अपने माता-पिता के रास्ते पर नहीं चलते ।
पंजाब के उत्साह से भरे शहर में एक सीधा-सादा परिवार रहता था । उसमें थे- माता-पिता और उनकी दो बेटियाँ । एक का नाम रेखा और दूसरी का नाम राखी था । वे जुड़वाँ बहने थीं जो बिल्कुल समान दिखतीं थीं । राखी शैतान थी । रेखा सब की मदद करती थी जैसे कि एक अंधे आदमी को सड़क पार कराती तो कभी-कभी किसी बीमार पशु की देखभाल करती जबकि राखी सब को उल्लू बनाती और सब के साथ शरारत करती थी ।
रेखा और राखी हाल ही में एक नए स्कूल में आठवीं कक्षा पढ़ने आईं थीं क्योंकि वे एक दूसरे के समान ही दिखती थीं । उनके अध्यापक तक चकरा जाते थे । सबसे बड़ी बात तो उनका नाम भी मिलता-जुलता था ।
राखी हमेशा अध्यापकों का मज़ाक उड़ाया करती थी और अंत में सारा इल्ज़ाम अपनी जुड़वाँ बहन रेखा पर डाल देती थी जैसे कि अध्यापक की कुर्सी पर गोंद लगा देना तो कभी श्यामपट पर चित्र बना देना तो कभी कुछ और ऐसे मज़ाक उड़ाती थी । जब उनके माता-पिता को स्कूल बुलाया जाता था तब सभी रेखा को ही भला-बुरा कहते । माँ-बाप राखी जैसे रेखा को बनने को कहते और उसे डाँटते-फटकारते । ऐसे ही बहुत समय तक चलता रहा । आखिर में एक दिन राखी का खेल दूध का दूध और पानी का पानी हो गया और सब कुछ बिल्कुल साफ हो गया ।
रेखा बीमार थी और घर पर अपने माता-पिता के साथ ही थी। वह स्कूल नहीं गई। राखी स्कूल गई थी । हमेशा की तरह राखी ने शैतानी की । दरवाजे के सामने केले का छिलका डाल दिया । जब अध्यापक ने कमरे के अंदर कदम रखा तो वे एक बड़े धमाके के साथ केले के छिलके पर फिसले और सारी कक्षा हँस पड़ी। सब इतना हँसे कि लग रहा था कि मेजें और कुर्सियाँ भी हँस रही थीं। बिना सोचे-समझे जल्दी से राखी ने पूरा इल्ज़ाम रेखा पर डाल दिया । राखी भूल गई थी कि रेखा घर पर बीमार थी और स्कूल आई ही नहीं थी। जब प्राचार्य जी ने रेखा के माता-पिता को बुलाया तो उन्हें यह सुनकर धक्का लगा क्योंकि रेखा तो उनके साथ घर पर ही थी। सबकी निगाह राखी पर उठी तब सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी की तरह साफ हो गया ।
उस दिन ही सबको पता चला कि इन सब शरारतों के पीछे राखी ही है। उसे स्कूल से थोड़े दिन के लिए निलम्बित कर दिया गया । रेखा की अच्छाई और बिना कुछ कहे सब कुछ सहते जाने के लिए माता-पिता प्रसन्न हुए पर उन्हें दु:ख भी हुआ कि राखी ने रेखा को बहुत सताया था । माँ-बाप गुजरता समय तो वापिस ला नहीं सकते थे । पर राखी को इस व्यवहार के लिए उन्होंने रेखा को एक तोहफा दिया और आगे से उस पर झूठे इल्ज़ाम लगाने से पहले खुद भी एक बार सोचने का वादा भी किया ।
HOPE IT HELPS YOU!!!
दुनिया में हर तरह के भाई-बहन होते हैं जो एक दूसरे की मदद करते हैं और जो एक दूसरे की शिकायत भी करते हैं। कई सत्यवादी होते हैं तो कई बेईमान । थोड़े अपने माता-पिता के जैसे होते हैं तो कई अपने माता-पिता के रास्ते पर नहीं चलते ।
पंजाब के उत्साह से भरे शहर में एक सीधा-सादा परिवार रहता था । उसमें थे- माता-पिता और उनकी दो बेटियाँ । एक का नाम रेखा और दूसरी का नाम राखी था । वे जुड़वाँ बहने थीं जो बिल्कुल समान दिखतीं थीं । राखी शैतान थी । रेखा सब की मदद करती थी जैसे कि एक अंधे आदमी को सड़क पार कराती तो कभी-कभी किसी बीमार पशु की देखभाल करती जबकि राखी सब को उल्लू बनाती और सब के साथ शरारत करती थी ।
रेखा और राखी हाल ही में एक नए स्कूल में आठवीं कक्षा पढ़ने आईं थीं क्योंकि वे एक दूसरे के समान ही दिखती थीं । उनके अध्यापक तक चकरा जाते थे । सबसे बड़ी बात तो उनका नाम भी मिलता-जुलता था ।
राखी हमेशा अध्यापकों का मज़ाक उड़ाया करती थी और अंत में सारा इल्ज़ाम अपनी जुड़वाँ बहन रेखा पर डाल देती थी जैसे कि अध्यापक की कुर्सी पर गोंद लगा देना तो कभी श्यामपट पर चित्र बना देना तो कभी कुछ और ऐसे मज़ाक उड़ाती थी । जब उनके माता-पिता को स्कूल बुलाया जाता था तब सभी रेखा को ही भला-बुरा कहते । माँ-बाप राखी जैसे रेखा को बनने को कहते और उसे डाँटते-फटकारते । ऐसे ही बहुत समय तक चलता रहा । आखिर में एक दिन राखी का खेल दूध का दूध और पानी का पानी हो गया और सब कुछ बिल्कुल साफ हो गया ।
रेखा बीमार थी और घर पर अपने माता-पिता के साथ ही थी। वह स्कूल नहीं गई। राखी स्कूल गई थी । हमेशा की तरह राखी ने शैतानी की । दरवाजे के सामने केले का छिलका डाल दिया । जब अध्यापक ने कमरे के अंदर कदम रखा तो वे एक बड़े धमाके के साथ केले के छिलके पर फिसले और सारी कक्षा हँस पड़ी। सब इतना हँसे कि लग रहा था कि मेजें और कुर्सियाँ भी हँस रही थीं। बिना सोचे-समझे जल्दी से राखी ने पूरा इल्ज़ाम रेखा पर डाल दिया । राखी भूल गई थी कि रेखा घर पर बीमार थी और स्कूल आई ही नहीं थी। जब प्राचार्य जी ने रेखा के माता-पिता को बुलाया तो उन्हें यह सुनकर धक्का लगा क्योंकि रेखा तो उनके साथ घर पर ही थी। सबकी निगाह राखी पर उठी तब सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी की तरह साफ हो गया ।
उस दिन ही सबको पता चला कि इन सब शरारतों के पीछे राखी ही है। उसे स्कूल से थोड़े दिन के लिए निलम्बित कर दिया गया । रेखा की अच्छाई और बिना कुछ कहे सब कुछ सहते जाने के लिए माता-पिता प्रसन्न हुए पर उन्हें दु:ख भी हुआ कि राखी ने रेखा को बहुत सताया था । माँ-बाप गुजरता समय तो वापिस ला नहीं सकते थे । पर राखी को इस व्यवहार के लिए उन्होंने रेखा को एक तोहफा दिया और आगे से उस पर झूठे इल्ज़ाम लगाने से पहले खुद भी एक बार सोचने का वादा भी किया ।
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