Hindi, asked by p4o9plicharma, 1 year ago

Hindi essay on jaisa karoge waisa bharoge

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Answered by Mayyu2002
295
जैसा करोगे...वैसा भरोगे
हम झूठ बोलते हैं..अपने थोड़े से फायदे के लिए..अपने बचाव के लिए...हम साजिश करते हैं..दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए...हम कामचोरी करते हैं..आलस में...हम मौके का फायदा उठाते हैं माहौल देखकर...हम कानून तोड़ते हैं..जल्दबाजी में...इनमें से बड़ी घटनाएं तो हमें याद रहती हैं..छोटी घटनाएं हम हर रोज करने के बाद भूल जाते हैं लेकिन एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि हम जैसा करते हैं..वैसा भरते हैं..किसी न किसी रूप में..क्रिया की प्रतिक्रिया होती है...हम अपने जीवन में जिस किसी का बुरा करते हैं..गलत करते हैं...नुकसान पहुंचाते हैं..उसका हमें दंड जरूर मिलता है...चाहे वो शारीरिक रूप से मिले..आर्थिक रूप से मिले..भावनात्मक रूप से मिले...मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूं जिन्होंने खूब पैसा कमाया लेकिन गलत रूप से...ओहदा और हैसियत होने के बावजूद जीवन में ऐसे लोग सुखी नहीं रहे..चाहे खुद बीमारी से घिरे हों...चाहे संतान से कष्ट मिला हो..चाहे समाज से बेरूखी मिली हो..जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं होता..ओहदा ही सब कुछ नहीं होता...जीवन में सुख शांति कितनी है..इससे पता चलता है कि आप कितने समृद्ध हैं। आपकी सेहत अच्छी हैं...आप मानसिक रूप से सुकून से हैं..आपको रात में नींद आती है...आपकी संतान आपको सुख दे रही है...आप परिवार में मंगलमय जीवन जी रहे हो..इससे बेहतर कुछ नहीं..करोड़ों का बैंक बैलेंस..जमीन-जायदाद..सोना-चांदी..सब कुछ यहीं रह जाएगा...इसलिए ये हमेशा याद रखो कि आप यदि आगे नहीं बढ़ पा रहे हो तो वो आपकी कमी है..यदि आपकी सेहत खराब है तो वो आपकी कमी है..यदि आपकी नींद उड़ी हुई है तो वो उसकी वजह आप हो...जीवन में सच बोलने का माद्धा रखो..अपनी कमियों को स्वीकारने की हिम्मत जुटाओ...दूसरे को कष्ट न पहुंचाओ...अपने को बेहतर करो..अपने काम को मन लगाकर करो..अच्छे नतीजे आने से कोई नहीं रोक सकता..आप जैसी छवि बनाना चाहते हो..वैसी ही बनती है....आपका हर कदम आपको वापस मिलता है..अच्छा करोगे..अच्छा मिलेगा..गलत करोगे..गलत मिलेगा..ये आपको तय करना है कि आपको किस तरफ कदम बढ़ाना है...बाकी फिर.......


Hope this is adequate... Please mark it as brainliest
Answered by rohit50003
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Answer:

जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा

ये सच है कि हम जैसे कर्म करते है, हमें उसका वैसा ही फल मिलता है। हमारे द्वारा किये गए कर्म ही हमारे पाप और पुण्य तय करते है। हम अच्छे कर्म करते है तो हमें उसके अच्छे फल मिलते है और अगर हम बुरे कर्म करते है तो हमें उसके बुरे फल मिलते है। हमारे जीवन में जो भी परेशानियां आती हैं, उनका संबंध कहीं ना कहीं हमारे कर्मों से होता है।

कबीरदास जी का ये दोहा हमें हमेशा ये एहसास दिलाता है कि बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरा ही होता है।

करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताय।

बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय॥

कभी कभी हम जान बूझकर गलत काम करते हैं तो कभी अनजाने में गलत काम कर जाते हैं। जिसके कारण हमें आगे चलकर परेशानी उठानी पड़ती हैं। और जब हम पर कोई परेशानी आती हैं तब हम पछताते हैं कि काश हमने ऐसा काम ना किया होता तो शायद आज हम इस मुश्किल में ना पड़ते।

पुराने समय में एक राजा था। वह अक्सर अपने दरबारियों और मंत्रियों की परीक्षा लेता रहता था। एक दिन राजा ने अपने तीन मंत्रियों को दरबार में बुलाया और तीनो को आदेश दिया कि एक एक थैला लेकर बगीचे में जायें और वहाँ से अच्छे अच्छे फल तोड़ कर लायें। तीनो मंत्री एक एक थैला लेकर अलग अलग बाग़ में गए। बाग़ में जाकर एक मंत्री ने सोचा कि राजा के लिए अच्छे अच्छे फल तोड़ कर ले जाता हूँ ताकि राजा को पसंद आये। उसने चुन चुन कर अच्छे अच्छे फलों को अपने थैले में भर लिया। दूसरे मंत्री ने सोचा “कि राजा को कौनसा फल खाने है?” वो तो फलों को देखेगा भी नहीं। ऐसा सोचकर उसने अच्छे बुरे जो भी फल थे, जल्दी जल्दी इकठ्ठा करके अपना थैला भर लिया। तीसरे मंत्री ने सोचा कि समय क्यों बर्बाद किया जाये, राजा तो मेरा भरा हुआ थैला ही देखेगे। ऐसा सोचकर उसने घास फूस से अपने थैले को भर लिया। अपना अपना थैला लेकर तीनो मंत्री राजा के पास लौटे। राजा ने बिना देखे ही अपने सैनिकों को उन तीनो मंत्रियों को एक महीने के लिए जेल में बंद करने का आदेश दे दिया और कहा कि इन्हे खाने के लिए कुछ नहीं दिया जाये। ये अपने फल खाकर ही अपना गुजारा करेंगे।

अब जेल में तीनो मंत्रियों के पास अपने अपने थैलो के अलावा और कुछ नहीं था। जिस मंत्री ने अच्छे अच्छे फल चुने थे, वो बड़े आराम से फल खाता रहा और उसने बड़ी आसानी से एक महीना फलों के सहारे गुजार दिया। जिस मंत्री ने अच्छे बुरे गले सड़े फल चुने थे वो कुछ दिन तो आराम से अच्छे फल खाता रहा रहा लेकिन उसके बाद सड़े गले फल खाने की वजह से वो बीमार हो गया। उसे बहुत परेशानी उठानी पड़ी और बड़ी मुश्किल से उसका एक महीना गुजरा। लेकिन जिस मंत्री ने घास फूस से अपना थैला भरा था वो कुछ दिनों में ही भूख से मर गया।

दोस्तों ये तो एक कहानी है। लेकिन इस कहानी से हमें बहुत अच्छी सीख मिलती है कि हम जैसा करते हैं, हमें उसका वैसा ही फल मिलता है। ये भी सच है कि हमें अपने कर्मों का फल ज़रूर मिलता है। इस जन्म में नहीं, तो अगले जन्म में हमें अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। एक बहुत अच्छी कहावत हैं कि जो जैसा बोता हैं वो वैसा ही काटता है। अगर हमने बबूल का पेड़ बोया है तो हम आम नहीं खा सकते। हमें सिर्फ कांटे ही मिलेंगे।

मतलब कि अगर हमने कोई गलत काम किया है या किसी को दुःख पहुँचाया है या किसी को धोखा दिया है या किसी के साथ बुरा किया है, तो हम कभी भी खुश नहीं रह सकते। कभी भी सुख से, चैन से नहीं रह सकते। हमेशा किसी ना किसी मुश्किल परेशानी से घिरे रहेंगे।

तो दोस्तों, अब ये हमें देखना है कि हम अपने जीवन रुपी थैले में कौन कौन से फल इकट्ठे कर रहे हैं? अगर हमने अच्छे फल इकट्ठे किये है मतलब कि अगर हम अच्छे कर्म करते है तो हम ख़ुशी से अपनी ज़िंदगी गुजारेंगे। लेकिन अगर हमने अपने थैले में सड़े गले फल या घास फूस इकठ्ठा किये हैं तो हमारी ज़िंदगी में कभी ख़ुशी नहीं आ सकती। हम कभी सुख से, चैन से नहीं रह सकते। हमेशा दुखी और परेशान ही रहेंगे। इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करें और दूसरों को भी अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करें।

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