Hindi essay on proverb ताली एक हाथ से नहीं बजती
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लता को उदास देखकर दादाजी ने पूछ लिया-“लता बेटे, क्या बात है? उदास क्यों हो?” “दादाजी, मुझे मम्मी ने डाँटा।” लता बोली।
तभी वहाँ अमर भागता हुआ आया और बोला-“दादाजी, इसने दूध नहीं पिया, बल्कि फैला दिया। इसीलिए मम्मी ने इसे डाँटा।”
देखो बेटे, दादाजी ने लता को समझाते हुए कहा-“कभी-कभी छोटे ऐसी गलती कर देते हैं कि बड़े उन्हें डाँटकर उनकी गलती का अहसास कराते हैं। इसमें नाराज होने या बुरा मानने की कोई बात नहीं है। बेटा ! याद रखना, एक हाथ से ताली नहीं बजती।”
अमर ताली बजने की बात सुनकर कुछ समझ नहीं पाया। इसलिए उसने दादाजी से पूछा-“दादाजी, यहाँ ताली बजने की बात कहाँ से आ गई?” दादाजी बोले-“बेटा, यह एक कहावत है। इसका मतलब है कि से भी बात एक तरफ से नहीं होती, बल्कि दोनों तरफ से होती है। अब तुम ही बताओ, अकेला इन्सान किसके साथ झगड़ा करेगा?” “दादाजी, हमें इस कहावत की कहानी सुनाओ।” लता ने कहा।
“अच्छा तो सुनो।” दादाजी ने कहानी शुरू करते हुए कहा-“एक राजा था। उसके दरबार में तरह-तरह की कलाओं और गुणों से भरपूर दरबारी थे। उनमें से एक था भगीरथ। वह बहुत बुद्धिमान और हाजिरजवाब था। एक दिन राजा ने उससे कहा-‘भगीरथ, हमारी नन्ही राजकुमारी चाँद-तारों के साथ खेलना चाहती है। क्या तुम चाँद-तारों को धरती पर ला सकते हो?’ यह सुनकर भगीरथ ने तुरंत उत्तर दिया-‘क्यों नहीं, महाराज! यह तो बहुत आसान काम है। कृपया नन्ही राजकुमारी को बुलाइए।’
राजा ने नन्ही राजकुमारी को दरबार में बुलाया। लगभग छह साल की नन्ही राजकुमारी दरबार में आते ही राजा की गोद में बैठ गई और बोली-‘पिताजी, मेरे चाँद-तारे कहाँ हैं?’ राजा ने कहा-‘बेटा, अभी थोड़ी।
देर में तुम्हारे चाँद-तारे आ जाएँगे।’ भगीरथ ने एक बड़ा थाल मँगाया। उसे महल के आँगन में रख दिया। उसमें पानी डाल दिया। जब शाम ढल गई, तो अँधेरा हो गया। आकाश में चाँद-तारे साफ दिखाई दे रहे थे।
थाल के अंदर पानी में आकाश में चमकते चाँद-तारों की तस्वीर दिखाई देने लगी। तभी भगीरथ बोला-‘लो राजकुमारी, खेलो चाँद-तारों के साथ।’ भगीरथ की चतुराई देखकर राजा और सभी दरबारी दंग रह गए।
“अचानक नन्ही राजकमारी बोल पड़ी-‘अच्छा, तो क्या तुम एक हाथ से ताली बजा सकते हो ? बजाओ न।’ राजकुमारी का सवाल सुनकर भगीरथ अवाक् रह गया। वह सोच में पड़ गया। उसे कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी। यह देखकर दरबारी जोर-जोर से चिल्लाने लगे-‘एक हाथ से ताली नहीं बजती। एक हाथ से ताली नहीं बजती। भगीरथ शर्मिदा हो गया।” दादाजी की कहानी खत्म हुई तो अमर बोला-“दादाजी, जब दो लोग आपस में बहस करते हैं और एक-दूसरे को भला-बुरा कहते हैं, तब उनके बीच झगड़ा हो जाता है। अगर एक आदमी चुपचाप रहे, तो दूसरा किसके साथ झगड़ेगा? इसीलिए तो कहते हैं कि एक हाथ से ताली नहीं बजती।”
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