Hindi, asked by heythere4366, 10 months ago

Hindi essay Varsha ka tandav

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Answered by anamik59
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वर्षा ऋतु एक ऐसी ऋतु है, जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। साधारण भाषा में इसे “पानी बरसने वाला मौसम” भी कहा जाता है। इसे “मॉनसून” के नाम से भी जाना जाता है। भारत में वर्षा ऋतु 3 महीने चलती है- जुलाई, अगस्त और सितंबर। तारीख के अनुसार 15 जून से 15 सितंबर तक का समय वर्षा ऋतु कहलाता है। भारत में मानसून अरब सागर से उठता है और सबसे पहले केरला राज्य में प्रवेश करता है। फिर यह धीरे-धीरे उत्तरी भारत में पहुंचता है और वर्षा के लिए उत्तरदायी होता है।

भारत के लिए वर्षा ऋतु का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि भारत एक गर्म जलवायु वाला देश है। यहाँ मार्च, अप्रैल, मई, जून के महीने में काफी गर्मी होती है। मनुष्य से लेकर पशु पक्षी और दूसरे जीव जंतु गर्मी से बेहाल रहते हैं। सभी वर्षा ऋतु की प्रतीक्षा करते हैं और जैसे ही वर्षा शुरू होती है सभी को आराम मिलता है। गर्मी से राहत मिलती है। किसानों के लिए वर्षा ऋतु किसी वरदान से कम नहीं होती है। इस लेख में हम आपके लिए वर्षा ऋतु पर एक अच्छा निबंध प्रस्तुत करेंगे।

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वर्षा ऋतु: प्रकृति परिवर्तन का प्रतीक

परिवर्तन प्रकृति का विशेष नियम है। वर्षा ऋतु भी परिवर्तन को दर्शाती है। जिस तरह वसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु आती है, उसी तरह ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु आती है। फिर शीत ऋतु आती है। प्रकृति (कुदरत) कभी किसी एक जगह स्थिर नहीं रहती है। यह हमेशा बदलती रहती है। वर्षा ऋतु समय को भी प्रदर्शित करती है। जिस तरह समय हमेशा बदलता रहता है उस तरह मौसम और ऋतुये भी हमेशा बदलती रहती हैं।

वर्षा ऋतु सुख-दुख के चक्र को दर्शाती है

जिस तरह जीवन में सुख और दुख का चक्र निरंतर चलता रहता है, उसी तरह प्रकृति भी मनुष्य को भिन्न-भिन्न रूपों में सुख और दुख का एहसास कराती रहती है। ग्रीष्म ऋतु आने पर सभी जगह पानी की कमी हो जाती है। गर्मी बढ़ने से लोगों को कहीं भी चैन नहीं मिलता है। वह हमेशा परेशान दिखते हैं। सब लोग बार बार यही कहते हैं कि “गर्मी बहुत है” मनुष्य के साथ पशु पक्षी, गाय, भैंस, बकरियां और दूसरे जीव भी बेहाल हो जाते हैं।

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मनुष्य तो किसी तरह पानी खोज कर अपनी प्यास बुझा लेता है, बेजुबान पशु अपनी समस्या किसी को नहीं बता सकते। बस पानी की तलाश में यहां से वहां घूमते रहते हैं। लेकिन जैसे ही वर्षा ऋतु शुरू होती है सभी को भरपूर मात्रा में पानी पीने को मिल जाता है। हरी घास मैदानों में उग जाती है। इसे खाकर पशु अपनी भूख मिटाते हैं। इस तरह यदि प्रकृति एक तरफ समस्या उत्पन्न करती है तो दूसरी तरफ उसका समाधान भी खुद ही प्रस्तुत करती है।

वर्षा ऋतु का अनुपम सौंदर्य

वर्षा ऋतु का सौंदर्य देखते ही बनता है। जैसे ही वर्षा शुरू होती है चारों ओर हरियाली छा जाती है, जो आँखों को सुकून पहुँचाती है। हरियाली देखकर पशु पक्षी के साथ मनुष्य भी प्रसन्न हो जाता है। मोर वनों में पंख फैलाकर नृत्य करते हैं। और अपनी खुशी दिखाते हैं। नदियाँ, तालाब, झील पानी से भर जाते है। किसान खेती में लग जाते है। खेतों में धान मक्का गन्ना जैसी फसलें लहलहा उठती हैं। गर्मी से राहत मिलती है। जब मौसम अनुकूल होता है तो काम करना भी आसान हो जाता है।

आम, अमरूद और दूसरे फलों की मिठास बढ़ जाती है। पेड़ पौधों पर नई पत्तियां और फूल आ जाते हैं। जो पेड़ पौधे सूख रहे होते हैं उनमें नई जान आ जाती है। बच्चे छतों पर जाकर नहाते हैं और वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं। वर्षा ऋतु आने पर हाथी जोर जोर से चिघाड़ते हैं। वे भी वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं। विभिन्न प्रकार की चिड़िया चहचहाने लग जाती हैं। पपीहे पी पी और कोयल कू कू की ध्वनि कर आनंदित होते है।

वर्षा ऋतु का महत्व

भारत के लिए वर्षा ऋतु का महत्व बहुत अधिक है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की 80% आबादी गांव में निवास करती है, जो कृषि करके अपना जीवन यापन करती है। किसानों को वर्षा ऋतु का विशेष रूप से इंतजार रहता है। भारत की कृषि वर्षा पर आश्रित है। देश में कृत्रिम साधनों द्वारा सिंचाई की बहुत कमी है। इसलिए किसान वर्षा ऋतु में अपनी फसल की बुआई करते हैं।

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जिस साल अच्छी वर्षा हो होती है, फसल भी अच्छी होती है। परंतु कई बार सूखा पड़ जाता है जिससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। वर्षा ऋतु से पृथ्वी का भूजल स्तर भी बढ़ जाता है। जिन स्थानों पर सूखे की समस्या होती है, वहां पर भी पानी उपलब्ध हो जाता है। कुएं भी पानी से भर जाते हैं।

वर्षा ऋतु के लाभ

वर्षा ऋतु के बहुत से लाभ है। पेड़-पौधों और वनों के लिए वर्षा ऋतु बहुत लाभदायक होती है। पेड़ों पर नई पत्तियां और फूल आ जाते हैं। उनकी पत्तियां धुल जाती हैं। जो पेड़ पौधे ग्रीष्म ऋतु में पानी की कमी से सूखने वाले थे अब उनमें फिर से नई जान आ जाती है।

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