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1) कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी ?
2) " इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई| वे सब तो आशीर्वाद देंगे" इस कथन के आधार पर मोती की विशेषताएँ बताइए|
3) क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजा़दी की लड़ाई की ओर संकेत करती है ?
4) हीरा-मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाते हुए प्रताड़ना भी सही - तर्क सहित उत्तर दीजिए|
Answers
Answer:
Question 1:
कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी?
Answer:
कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी ली जाती है। इससे पशुओं की संख्या की जानकारी होती है ताकि कोई जानवर अगर कैद से भाग जाए तो तुरन्त पता लगाया जा सके।
Question 2:
‘इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगें’ – मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
Answer:
मोती के इस कथन से उसकी निम्नलिखित विशेषताएँ उभर कर सामने आती हैं –
(1) वह आशावादी है क्योंकि उसे अभी भी यह विश्वास है कि वह इस कैद से मुक्त हो सकता है।
(2) वह स्वार्थी नहीं है। स्वयं भागने के बजाए उसने अन्य सभी जानवरों को सबसे पहले भागने का मौका दिया।
(3) वह साहसी है।
Question 3:
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज़ादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?
Answer:
प्रेमचंद स्वतंत्रता पूर्व लेखक हैं। इनकी रचनाओं में भी इसका प्रभाव देखा गया है। “दो बैलों की कथा” नामक कहानी भी इससे अछूती नहीं है।
मनुष्य हो या पशु पराधीनता किसी को भी स्वीकार नहीं है। सभी स्वतंत्र होना चाहते हैं। प्रस्तुत कहानी की कथावस्तु भी इन्हीं मनोविचार पर आधारित है। प्रेमचंद ने अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों पर किए गए अत्याचारों को मनुष्य तथा पशु के माध्यम से व्यक्त किया है। इस कहानी में उन्होंने यह भी कहा है कि स्वतंत्रता सहज ही नहीं मिलती, इसके लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ता है। जिस प्रकार अंग्रेज़ों के अत्याचार से पीड़ित जनता ने अपना क्षोभ विद्रोह के रुप में व्यक्त किया, उसी प्रकार बैलों का गया के प्रति आक्रोश भी संघर्ष के रुप में भड़क उठा। इस प्रकार परोक्ष रुप से यह कहानी आज़ादी की भावना से जुड़ी है।
Question 4:
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
Answer:
हीरा और मोती पर बहुत अत्याचार किए गए, उनका शोषण किया गया। परन्तु हीरा और मोती ने इसे चुपचाप सहने के बजाए इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई, भले ही इसके लिए उन्हें प्रताड़ना सहनी पड़ी तथा बहुत कष्टों का सामना भी करना पड़ा।
अपने मालिक पर अगाध स्नेह होने के बावजूद उन्हें गया अपने साथ ले गया। यह उन्हें मंजूर नहीं था। परन्तु फिर भी अपने मालिक के लिए वे गया के साथ जाने को तैयार हो जाते हैं। गया का व्यवहार उनके प्रति कुछ ठीक नहीं था। वो उन्हें दिन-दिन भर भूखा रखता तथा सख्ती से पूरा काम करवाता था। पशुओं के प्रति मनुष्य का यह व्यवहार अनुचित है। सहनशक्ति भी एक हद तक जवाब दे जाती है। हीरा और मोती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनके असंतोष ने भी विद्रोह का रुप ले लिया। ऐसा होना स्वाभाविक है।
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