Hindi me Samas kitne prakar ke hote hain
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समास की रचना मे दो पद होते हैं, पहले को पूर्वपद तथा दूसरे को उत्तरपद कहते है और इनसे मिलकर बने नये शब्द को समस्त पद कहते है। मुख्य रुप से छः प्रकार के होते है। अव्यवीभाव , कर्मधारय , द्विगु, द्वन्द्व, तत्पुरुष , बहुब्रीहि समास
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दो या अधिक शब्दों को समक्षिप्त कर के एक शब्द में लिखने या बोलने को समास कहते हैं। हिन्दी व्यकारण में समास के चार भेद हैं।
(1) १ अव्ययीभाव समास समास में पहला शब्द मुख्य और प्रधान होता है। और पहला शब्द अव्यय होता है।
उदाहरण हैं: आमरण = मृत्यु-तक , यथामती = मती के अनुसार, भरपेट = पेट भर , बेशक = बिना शक के = शक के बिना ,
(2) २ तत्पुरुष समास इस समास में दूसरा शब्द मुख्य होता है और पहला शब्द गौण होता है।
उदहरण हैं: स्वयंकृत = स्वयम से कृत = स्वयं से रचित , रसोई घर = रसोई के लिये घर , मनचाहा = मन से चाहा हुवा गंगाजल = गंगा का जल , नागरवासी = नागर के वासी
(3) ३ द्वंद्व समास इस में दोनों शब्द मुख्य होते हैं। दोनों शब्द के बीच में "अथवा", "या" , "एवम" लगते हैं।
राम-सीता, ऊँच-नीच , खट्ठा-मीठा
(4) ४ बहुव्रीही समास इस समास में दोनों शब्द अप्रधान होते हैं। समास का अर्थ और कुछ होता है। दोनों शब्द का अर्थ नहीं होता।
उदाहरण हैं: दशकण्ठ = रावण ; नीलकंठ ; सुलोचना = सुन्दर लोचन वाली