Hindi meri pehchan speech
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आज चारों ओर अंग्रेजी का ही साम्राज्य छाया हुआ है.हमारी दिनचर्या 'गुड मॉर्निंग' से शुरू होकर "गुड नाईट" पर खत्म होती है.अंग्रेजी में बात करना स्टेटस बन गया है.पर जहाँ तक मेरा सवाल है,आज भी बोलचाल हो या लिखना प्राथमिकता हिन्दी को ही देती हूँ.चाहे मैंने पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से की पर लगाव मेरा हिन्दी भाषा से ही रहा.नौकरी करी तो भी जहाँ जरूरत पड़ी,वहीं बस बात अंग्रेजी में की.बाकि तो जो अंग्रेजी में बात करते थे,जिन्हें हिन्दी बोलना तक नहीं आता था उन्हें भी हिन्दी बोलना सीखा दिया.शादी के बाद भी लेडीज के ऐसे ग्रुप में रही जहाँ सब अधिकतर अंग्रेजी में ही बात करती थीं.हिन्दी में बात करने वालों को कमतर समझा जाता था.वहाँ भी मैंने अपना हिन्दी प्रेम जारी रखा.लेडीज क्लब की हर महीने मीटिंग होती थी,वहाँ सभी उच्चाधिकारियों की पत्नियां भी आती थीं जिनमें मैं भी होती थी.सब आपस में अंग्रेजी में बात करती थीं लेकिन मैं हिंदी में बात करती थी.और मुझे कभी शर्म महसूस नहीं हुई अपितु गर्व ही हुआ.सबको लगने लगा मिसेज आहूजा ऐंवें (फालतू) ही हैं.पर कहतें हैं ना इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते.एक बार लेडीज क्लब के सदस्यों ने 'वुमन्स डे' मनाने का प्रोग्राम बनाया और एक प्रतियोगिता रखी जिसमें 'नारी' विषय पर बोलना था.अंग्रेजी या हिंदी किसी में भी बोल सकते थे. उसमें सभी लेडीज भाग ले सकती थीं.मैंने भी मन में सोचा कमलेश बेन मौका मिल रहा है हिन्दी प्रेम को जताने का तो छोड़ना क्यों? बस नाम लिखवा दिया.वुमन्स-डे का दिन था,पूरा हॉल लोगों से खचा खच भरा हुआ था.मैं बहुत नर्वस थी,क्योंकि पति की इज्जत का भी सवाल था,दूसरे दिन ऑफिस में चर्चा जो होनी थी.खैर अपने पर काबू करके शांति से बैठ गई.कार्यक्रम शुरू हो गया.एक के बाद एक प्रतियोगी आए और नारी विषय पर बोलकर चले गए.अधिकतर लोगों ने अंग्रेजी में बोला.अब तो मुझे और डर लगने लगा,क्योँकि मैंने तो हिन्दी में भाषण तैयार किया था.'अवर नेक्स्ट पार्टिसिपेंट इस...मिसेज कमलेश आहूजा'.अपना नाम सुनते ही,पहले गहरी सांस ली फिर कुर्सी से उठकर मंच की ओर चल दी.जैसे ही माइक हाथ में लिया सब डर छूमंतर हो गया और फिर ऐसा बोला कि पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा..!!. मुझे प्रथम पुरस्कार मिला.उस दिन के बाद से मुझको लेकर सबका एक अलग नज़रिया बन गया.सबको मैंने हिन्दी का दीवाना बना दिया.अब हर प्रोग्राम में मेरी एक कविता सुनाने की फरमाइश होने लगी.आज इसी हिन्दी प्रेम ने मुझे लेखिका के रूप में एक अलग पहचान दी है.जब मेरे लेखन को प्रशंसा मिलती है,तो मैं हिन्दी भाषा की आभारी होती हूँ.आभारी मोमस्प्रेससो के मंच की भी हूँ.यदि हमने इच्छाओं के पंख लगाए,तो इस मंच ने हमें उड़ान दी.वैसे भाषाएं सभी अच्छी होती हैं,सीखने में कोई बुराई नहीं,किन्तु हिन्दी हमारी मातृभाषा है और मातृभाषा माँ के समान होती है इसकी रक्षा व सम्मान करना हमारा कर्तव्य है.हिन्दी बोलने में शर्म नहीं गर्व होना चाहिए.जीवन में भाषा का बहुत महत्व होता है,भाषा हमें तहजीब सिखाती है.इसलिए सभी देशों की अपनी मूल भाषा होती है.भाषा अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का एकमात्र साधन है.इसके माध्यम से हम लोगों में एकता का विकास करके देश को उन्नति के मार्ग पर अग्रसर कर सकते हैं.अतः भारत के उत्थान के लिए- हिन्दी को अपनाना होगा, अंग्रेजी को 'विषय-मात्र' और हिन्दी को 'अनिवार्य' बनाना होगा. सभी को "हिन्दी दिवस"की शुभकामनाएं,