Hindi nibandh on, " Yadi Main Neta Hoti to " 100 words
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यदि मैं नेता होता यदि मैं राजनीतिज्ञ होता तो निबंध हमारा नेता कैसा हो पर निबंध agar main neta hota essay in hindi हमारा प्रतिनिधि कैसा हो हमारा नेता कैसा हो essay on agar main neta hota भारत को कैसा नेता चाहिए हमारा जनप्रतिनिधि कैसा हो एक आदर्श नेता आदर्श नेता पर निबंध आज का बालक कल का नेता पर निबंध agar main neta hota to hindi nibandh - नेता शब्द आज के राजनैतिक जीवन का वहुचर्चित और वहु सम्मानित शब्द बन गया है।आज इस शब्द के प्रति लोगों का मोह इतना बढ़ गया है कि समाज के हर क्षेत्र में 'इस पुनीत शब्द को अपने नाम के साथ जोड़ने की तमन्ना लिये हुए अधिकतर लोग देखे जाते हैं । आज छोटे से बड़े स्तर के इतने नेता हैं कि इनके नामों की फेहरिस्त तैयार करना किसी व्यक्ति की बात नहीं । मनुष्यों का छोटे से बड़ा जहां भी संगठन है वहां कुछ नेताओं का झुण्ड में अवश्य दिखायी देता है । कुछ उसमें छोटे स्तर के नेता है तो कुछ संगठन पर अपना प्रभुत्व जमाने वाले बड़े नेता हैं । कारखाने हो या ग्राम, क्षेत्र विशेष हो या शिक्षण संस्थाये, व्यापारी वर्ग हो या जाति विशेष का दल सबके अलग-अलग नेता होते हैं | वे सभी एक नहीं अनेक | कुछ नेता जा थोडा बड़े वर्ग के हैं वे अपने को किसी पार्टी विशेष के प्रतिनिधि के रुप में अपनी जड़ जमाने का प्रयल करते हैं । माना जाता किछोटे-संगठनों का नेतृत्व करते-करते ही धीरे-धीरे बड़े नेता के रुप में विकसित होने का सअवसर मिलता है । इसका भी प्रोन्नति के अवसर जो होते हैं । आज प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली में कोई भी काम ऐसा नहीं हैं- जो नेताओं की सहायता वगैर कराया जा सके । अगर किसी विद्यालय में नामांकन कराना हो तो वहां के किसी नेता को पकडिये. काम आसान हा जायेगा । अगर किसी आफिस से आप का कोई काम है तो पता लगाइये वहां किस पार्टी के युनियन का वर्चस्व है, फिर उर सबसे दवंग नेता के सामने माथा टेकिये, काम आसानी से हो जायेगा । आप का ही पी०एफ एकाउन्ट हैं. उससे आप का लेना है, तो स्वयं आप चाहे कि आसानी से मिल जाय और आपके बेटे-बेटियों के विवाह में सहयोग हो जाय, तो इतना आस से संभव नहीं। आप अपने कारखाने या संस्था के नेता को पकड़िये होसके तो उसके पाकिट को थोडा भारी कर दीजिए, से पहले आप का कर्ज आपको मिल जायेगा । कहने का अर्थ यह कि नेता शब्द आज व्यापक है । प्रजातंत्र व्यवस्था का यही मूल है। इनकी बड़ी महिमा हैं इनका गुणगान और स्तवन जरुरी है, नहीं तो आप चैन की जिन्दगी नहीं जी सकते । ये बड़े शक्तिशाली और जादुगर होते हैं इन्हें देखकर कभी-कभी हमें मलूकदास जी याद आते हैं उन्होंने कहा था
अजगर करे न चाकरी पंक्षी करे न काम
दास मलूका कह गये सबके दाता राम ।
सचमुच इन नेताओं ने मलूक दास का यह दोहा अवश्य ध्यान से पढ़ा होगा तभी तो ये काम नहीं करते लेकिन साफ सुथरा वस्त्र, मुंह में बनारसी पान दबाये हुये बड़े रोबदाब से समाज में घुमते मिलते हैं । काम भले न करें इनको पैसे की कमी नहीं । इनका कोई काम नहीं रुकता, न घनाभाव इनको खलता है क्योंकि जनता जनार्दन जो तुलसी के सिय-राम है इनके लिये दाता बने खड़े ही रहते है फिर इनको चिन्ता किस बात की । शिरीष के फूल पाठ में इन नेताओं पर विद्वान लेखक ने व्यंग किया है कि ये एक बार कुर्सी पकड़ ले तो छोड़ने का नाम नहीं लेते. चाहे इनके विरुद्ध शिकायतों की आंधी क्यों न उठती रहे । ये तब तक अपने स्थान पर जमें रहते हैं जबतक नये नस्ल के नेताओं द्वारा इन्हें धकिया कर स्थान से हटा नहीं दिया जाता । भला यह भी कोई बात हुई। कुर्सी क्या छोड़ने की वस्तु है, एक बार लालू ने कहा था कि नेताओं को देखकर ही मैं भैंस की पीठ पर बैठना सीखा और अब तो पीठ के स्थान पर कुर्सी मिल गयी है, इसे तो मैं छोड़ने से रहा । ठीक ही बात है - ‘महाजनो येन गतः सपंथा' । हमें अपने पूर्व नेताओं से सीख तो लेनी ही चाहिये ।
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ok, I am going to learn how to make paragraph