Hindi one moral story and opinion
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एक बार एक विद्यालय के कुछ छात्रों ने मिलकर पिकनिक जाने की योजना बनाई | सब ने तय किया की सब अपने-अपने घर से कुछ खाने को लेकर आएंगे | एक बच्चा जिसका नाम मोहन था उसने घर पर आ कर बताया | मोहन की माँ परेशान हो गई क्योंकि उनके घर पर कुछ खाने-पिने को नहीं था | न ही पैसे थे की वह कुछ बाज़ार से खरीद सकें | बस थोड़े से खजूर थे | माँ को खजूर देना उचित नहीं लग रहा था | कुछ देर बाद मोहन के पिता आए और माँ ने मोहन के कार्यक्रम के बारे में बताया | पिता के पास पैसे नहीं थे | वह मोहन का दिल नहीं तोडना चाहते थे | उन्होंने सोचा पड़ोसियों से कुछ पैसे ले कर अपने बच्चे की इच्छा पूरी कर देता हूँ | मैं अभी आया कह कर पिता जी चले गए , मोहन ने हट पकड़ कर रहा आप कहाँ जा रहे हो | पिता ने कहा मैं पड़ोस के मित्र से कुछ पैसे ले कर तुम्हें कुछ खाने-पिने का सामान ला सकूं| बालक ने कहा उधार मांगना अच्छा ठीक है | मेरा वैसे मन नहीं है जाने का मैं घर पर पड़े खजूर ही लेकर चला जाऊंगा | कर्ज लेकर शान दिखाना अच्छी बात नहीं है | पिता भावुक हो गए और बच्चे की बात दिल को छू गई | वह खजूर लेकर ही पिकनीक गया |
हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है , हमें उधार मांग कर जरूरतों को पूरा नहीं करना चाहिए , जो कुछ हमारे पस उसी से गुज़ारा करना चाहिए |