Hindi, asked by sreerekha87, 1 year ago

hindi rachana on ziddi bacha​

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Answer:

जिद्दी बच्चों को संभालने का सबसे कारगर तरीका है कि आप उनके बुरे बर्ताव पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया ना दें जबकि उनके अच्छे व्यवहार पर हमेशा तारीफ करें. मनोवैज्ञानिकों और पैरेंटिंग एक्सपर्ट्स से जानिए कैसे जिद्दी बच्चों की परवरिश करें कि वे एक समझदार बच्चे बनें...

Explanation:

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जिद्दी बच्चे को समझदार बनाना है तो अपनाएं ये 7 तरीके!

जिद्दी बच्चों को संभालना कई पैरेंट्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है. बच्चों को नहलाने से लेकर, खाना खिलाने, सोने तक हर बात पर बच्चों को समझाने से मुश्किल काम औऱ कोई नहीं रह जाता है. बच्चों की परवरिश में पैरेंट्स की गलतियां दिन पर दिन और भारी पड़ती चली जाती हैं औऱ बच्चा पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर निकल जाता है.

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जिद्दी बच्चे को समझदार बनाना है तो अपनाएं ये 7 तरीके!

जिद्दी बच्चों को संभालने का सबसे कारगर तरीका है कि आप उनके बुरे बर्ताव पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया ना दें जबकि उनके अच्छे व्यवहार पर हमेशा तारीफ करें. मनोवैज्ञानिकों और पैरेंटिंग एक्सपर्ट्स से जानिए कैसे जिद्दी बच्चों की परवरिश करें कि वे एक समझदार बच्चे बनें...

जिद्दी बच्चे को समझदार बनाना है तो अपनाएं ये 7 तरीके!

1-उन्हें सुनें, बहस ना करें-

अगर आप चाहते हैं कि आपका जिद्दी बच्चा आपको सुने तो इसके लिए आपको खुद उनकी बात ध्यान से सुननी होगी. मजबूत इच्छाशक्ति वाले बच्चों की राय भी बहुत मजबूत होती है और वे कई बार बहस करने लगते हैं. अगर आप उनकी बात नहीं सुनेंगे तो वे और ज्यादा जिद्दी हो जाएंगे.

Answered by Anonymous
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वह अंधेरी शाम थी। आकाश में घने बादल थे। कुत्तों की भौंकने की आवाज चारों तरफ से आ रहे थे। आसपास चारों तरफ सिर्फ सन्नाटा था सन्नाटा अर्थात मनुष्य की कोई फ

ध्वनी सुनाई नहीं दे रही थी। हरलीन अपने कुर्सी से उठी और जोर से चिल्लाई बेटा - बेटा। उनकी आवाज में दर्द दिखाई दे रहा था। वह कभी तड़पती और अपने पुत्र को याद करती। ऐसा मालूम चलता जैसे उस घर में वह और उसका पुत्र ही रहता हो और वह पुत्र ही सिर्फ उसका दर्द समझता हो। तभी एक बच्चे की आवाज आई यह आवाज काफी हंसमुख था यह बच्चों की ध्वनि थी जो अभी सिर्फ 1 साल का ही हुआ था चेहरे पर मासूमियत साफ झलक रही थी। बच्चे जब भी एक कदम चलते जमीन की ओर झुक जाते हैं माता जोर से चिल्लाती है आह बेटा वही रुक जाओ और फिर अंतर्मन से रोती । तभी बच्चा अपनी मां को पास बुलाता और उसकी तरफ खिलौना फेंकता है मां चुपने की कोशिश करती है परंतु है उनके सिर पर जा लगती है मां का सिर लाल रंग से लाल हो जाता है मां फिर बच्चे को ऐसा करने से रोकती है परंतु बच्चा बार-बार एक ही हरकत करते जा रहा था उसका यह ज़िद मां के उस कोमल दिल को बहुत ही तकलीफ दे रहा था मां का भी बच्चों के प्रति लगाव एक ज़िद्दी था। तभी एक 18 वर्ष की लड़की की आवाज आती है। बाद में पता चलता है कि वह उस घर की नौकर है। लेखक यह देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है जब उन्हें यह पता चलता है कि उसकी मां लंगरी है उनके दोनों पैर नहीं है और हाथ से भी असमर्थ। लेखक बच्चे की ज़िद और मां के प्यार के बीच में उलझ जाता है वह संसार के उस कोने में चला जाता है जहां सांस लेना भी काफी तकलीफ दे है और वह अपनी कहानी को यहीं पर समाप्त कर देता है।

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