Hindi, asked by jyoti9223, 10 months ago

Hindi+short+story+and+moral

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Answered by KarunaAnand
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हिंदी कहानियों का हमारी जिंदगी में एक खास महत्त्व है l

हमारी जिंदगी का कई परेशानियों का हल हमें प्रेरणा कहानियां

(Hindi sort story with moral value )

मिल जाता है l

इसलिए परिवार के बड़े बुजुर्ग हमें बचपन में कई कहानियां और किससे सुनाया करते थे l

लेकिन आज भागदौड़ हमारी भरी जिंदगी में वह सारी कहानियां किस्से जी पीछे छूट गए हैंl इसलिए आज हम आपके लिए प्रेरणादायक कहानियां लेकर आए हैं l

जहां आप सभी कभी भी कहानियां पढ़ कर कुछ नया सीख सकते हैं l साधना हिंदी शार्ट स्टोरीज बहुत समय पहले की बात है l

एक जंगल में एक नदी किनारे एक साधु की कुटिया थी l

एक दिन साधु ने देखा उनकी कुटिया के सामने वाली नदी में एक सेवता हुआ आ रहा है l साधु ने शव को नदी से निकाला और अपनी कुटिया में ले आया महात्मा सेव को खाने ही वाले थे l कि तभी उनके अंतर्मन से एक आवाज आई क्या या तेरी संपत्ति है l

यदि तुमने इसे अपने परिश्रम से पैदा नहीं किया है l तो क्या इससे पर तुम्हारा अधिकार है l अपने अंतर्मन की आवाज़ सुन साधु को आभास हुआ l कि उससे इस फल को रखने या खाने का कोई हक नहीं है l इतना सोच कर साधु सेव को अपने झोले में डालकर सेव के असली स्वामी की खोज में चल पड़े l थोड़ी दूर जाने पर साधु को एक सेब का बाग दिखाई दिया l

उन्होंने बाग के स्वामी से जाकर कहा आप पेड़ से गिरकर नदी में आते बातें मेरी कुटिया तक आ गया था l

इसलिए मैं आपकी संपत्ति लौटाने आया हूं l वह बोला महात्मा तो मैं तो इस बाग का रखवाला मात्र हूं l इस बात की स्वामी से जाकर कहा आप के पेड़ से गिरकर नदी में बहते बहते मेरी कुटिया तक आ गया था l

इसलिए मैं आपकी संपत्ति लौटाने आया हूं l वह बोले महात्मा मैं तो इस बाग का रखवाला मात्र इस बाकी स्वामी राज्य की रानी है l

बाग के रखवाले उनकी बात सुनकर साधु महात्मा सेव को देने रानी के पास पहुंचे l

रानी को जब से साधु के सेव को यहां तक पहुंचाने के लिए लंबी यात्रा की बात पता चली । तो वह बहुत आश्चर्यचकित हुई l

" उन्होंने एक छोटे से सेव के लिए इतनी लंबी यात्रा का कारण साधु से पूछा "

साधु बोले महारानी साहब या यात्रा में सेब के लिए नहीं बल्कि अपने जमीर के लिए की है l यदि मेरा जमीर भ्रष्ट हो ही जाता तो मेरी जीवन भर की तपस्या नष्ट हो जाती l साधु की इमानदारी से महारानी बड़ी प्रसन्न हुई l

और उन्होंने साधु महात्मा को राजगुरु की उपाधि से सम्मानित कर उन्हें अपने राजघराने में रहने का निमंत्रण दिया l

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