Hindi stories with muhavare
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chakka churana --------ladai jeetna
आज मंहगाई ऐसे बढ़ रही है कि नाको चने चबाने पड़े रहे हैं। रोज बढ़ रहे भाव सर पर अंडे उबालने को विवश कर रहे हैं। खाना खाते हैं कि किरकिरी हो जाती है। दाल का भाव पढ़ते ही, दुनिया घूमने लगती है। आटे-दाल का भाव मुहावरे का अर्थ समझ में आ जाता है। कई बार सोचा पैसा बचाऊँगा, पर मंहगाई का ठिखरा हर बार फूट पड़ता है। कलेजा मुँह को आता है, और मुँह सूखने लगता है। श्रीमती ने कहा- हार खरीदना है, मुझे लगा कानों में पिघलता सीसा पड़ा है। बेचारी बड़े आस लगायी थी, आँखों में सपने सजाई थी। मेरे व्यवहार ने दिल तोड़ दिया और उसने मुझसे मुँह मोड़ लिया। गजरा लेकर मना रहा हूँ पर रूठी ऐसे है कि दिल हार रहा हूँ। बच्चे दो कदम बढ़कर है, लैपटॉप माँगते हैं, मुझे दिन में चाँद-सितारे दिखाते हैं। दिल पर हाथ रखे बैठा हूँ, अपनी जान को हाथ में थामे बैठा हूँ। बच्चों को चोर की दाढ़ी में तिनका नज़र आता है, मुझे तो पूरी दाढ़ी तिनके से बनी नज़र आती है। घर से नौ दो ग्यारह होने में भलाई है, वरना मेरी जान आफत में पड़ी। शामत आने से पहले कहीं खिसक जाऊँ वरना कहीं कम उम्र में ही अल्लाह को प्यारा न हो जाऊँ। हे मंहगाई क्यों तू मेरे घर आई, जबसे तू आई मैं बना हूँ नान खटाई।