Hindi, asked by anurajgupta71, 11 months ago

Hindi veer poem summry ​

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Answered by AnishaG
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सच है, विपत्ति जब आती है,

कायर को ही दहलाती है,

सूरमा नही विचलित होते,

क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं,

काँटों में राह बनाते हैं

..........

रामधारी सिंह दिनक

वीर ,रामधारी सिंह दिनक द्वारा एक प्रसिद्ध एवम् सुन्दर कविता है |

इस कविता मे कवि रामधारी सिंह दिनक जी ने ये वणर्र किया है कि किस प्रकार विपत्ति मे वीर पुरुष साहस से काम लेते हे और कभी हिम्मत नही हारते वो कोशिश करते रहते है | वी बरी से बरी मुसीबत का सामना डट कर करते है | वह कायरो की तरह विपत्तियो से पीछे नही हठते |

वह अपनी मँज़िल को प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर गुज़रते है |

वीर कभी भी मुश्कीलो से ही हारते वल्कि ,मुश्कीलो को हराते है |

कवि का कहना है कि विपत्तियो का सामना करो,तभी तुम उनको हरा पाओगे |

क्यूकि बिन खुद जले कभी उजाला नही किया जा सकता

है कौन विघ्न ऐसा जग में,

टिक सके आदमी के मग में?

खम ठोक ठेलता है जब नर,

पर्वत के जाते पाँव उखड़,

मानव जब ज़ोर लगाता है,

पत्थर पानी बन जाता है।

कवि का कहना है कि इस भ्रमांड पर एसा कोइ भी कार्य नही जो मानव द्वारा संभव हो |

अगर मनुष्य कुछ करने की ठान ले और उसे पूरा करने के लिए ज़मीन आसमान एक कर दे तो उसका उस कार्य मे सफल होना तय है |

मनुष्य अगर ज़ोर लगाए तो कठोर पाषान भी शीतल पानी बन जाता है |

इसका यह अर्थ है कि मनुष्य अगर चाहे तो जठिल एवं असंभव काम को भी संभव कर सकता है


AnishaG: है कौन विघ्न ऐसा जग में,

टिक सके आदमी के मग में?

खम ठोक ठेलता है जब नर,

पर्वत के जाते पाँव उखड़,

मानव जब ज़ोर लगाता है,

पत्थर पानी बन जाता है।

...these lines?
anurajgupta71: yes mam
AnishaG: dont call me ma'am xD
anurajgupta71: oky... amisha G
anurajgupta71: hello... r u there?
anurajgupta71: I am waiting for ur ans
anurajgupta71: ur writing is so good... pls help me solve
AnishaG: im so sorry the edit option has disappeared,i cant do anything
anurajgupta71: hiii
anurajgupta71: kya veer poem ka last para ka mulvab da sakanga?
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