Hindi veer poem summry
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सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नही विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं
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रामधारी सिंह दिनक
वीर ,रामधारी सिंह दिनक द्वारा एक प्रसिद्ध एवम् सुन्दर कविता है |
इस कविता मे कवि रामधारी सिंह दिनक जी ने ये वणर्रन किया है कि किस प्रकार विपत्ति मे वीर पुरुष साहस से काम लेते हे और कभी हिम्मत नही हारते वो कोशिश करते रहते है | वीर बरी से बरी मुसीबत का सामना डट कर करते है | वह कायरो की तरह विपत्तियो से पीछे नही हठते |
वह अपनी मँज़िल को प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर गुज़रते है |
वीर कभी भी मुश्कीलो से नही हारते वल्कि ,मुश्कीलो को हराते है |
कवि का कहना है कि विपत्तियो का सामना करो,तभी तुम उनको हरा पाओगे |
क्यूकि बिन खुद जले कभी उजाला नही किया जा सकता
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
कवि का कहना है कि इस भ्रमांड पर एसा कोइ भी कार्य नही जो मानव द्वारा संभव न हो |
अगर मनुष्य कुछ करने की ठान ले और उसे पूरा करने के लिए ज़मीन आसमान एक कर दे तो उसका उस कार्य मे सफल होना तय है |
मनुष्य अगर ज़ोर लगाए तो कठोर पाषान भी शीतल पानी बन जाता है |
इसका यह अर्थ है कि मनुष्य अगर चाहे तो जठिल एवं असंभव काम को भी संभव कर सकता है
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
...these lines?