Hiroshima and nagasaki story in hindi by
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उस दिन कैलेण्डर पर तारीख़ थी 6 अगस्त 1945. जापान के हिरोशिमा का आसमान साफ़ था, कोई बादल नहीं था.
हिरोशिमा के लोगों के लिए ये हर सुबह जैसी ही थी. लोग अपने रोज़मर्रा के कामों को निपटा रहे थे, इस बात से अंजान कि वहाँ सब कुछ चंद पलों में ही ख़त्म होने वाला है.
इतिहास तो लिखा जाना अभी भी बाक़ी था, लेकिन इसकी इबारत तैयार थी.
अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन एक बेहद गोपनीय अभियान में जापान पर परमाणु बम गिराए जाने को मंज़ूरी दे चुके थे.
रात या कह लें कि सुबह के 2 बजकर 45 मिनट पर अमरीकी वायुसेना के बमवर्षक बी-29 'एनोला गे' ने उड़ान भरी और दिशा थी पश्चिम की ओर, लक्ष्य था जापान...
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'लिटिल बॉय'
हिरोशिमा के लिए जो बम रवाना किया गया उसे पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति रुज़वेल्ट के सन्दर्भ में 'लिटिल बॉय' के नाम से भी जाना जाता है.
बी-29 में जब 'लिटिल बॉय' को लादा गया तो ये सक्रिय बम नहीं था, उसमें बारूद भरा जाना बाक़ी था और बम का सर्किट भी पूरा नहीं था.
"इनोला गै 'विमान चालक दल के पॉल डब्ल्यू tibbetsa में 12 लोगों, कंडक्टर थिओडोर, जे वैन किर्क और हथियार अधिकारी शामिल मॉरिस जेप्सेन थे.
मॉरिस जैप्सन वो व्यक्ति थे जिनके हाथ में आख़िरी बार 'लिटिल बॉय' था.
उन्होंने अपने चालक सहयोगी डीक पार्सन के साथ मिल कर चार बड़े बैग बारूद इस बम में रख दिए.
इसके बाद जैप्सन ने लिटिल बॉय में प्लग लगा कर इसे ज़िंदा बम में तब्दील कर दिया.
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जापान की सेना
हिरोशिमा एक बंदरगाह शहर था जो कि जापान की सेना को रसद मुहैया कराने का केंद्र था.
ये शहर सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण शहर था, यहाँ से ही जापानी सेना का संचार तंत्र चलता था. उस समय हिरोशिमा में वक़्त था सुबह के सवा आठ बजे.
'एनोला गे' ने लिटिल बॉय को आसमान में गिरा दिया. 'एनोला गे' की कमान पायलट कर्नल पॉल डब्लू तिब्बेत्स के हाथ में थी.
वो कहते हैं, ''कुछ ऐसा था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्या कहूँ बम गिराने के बाद चंद सेकेंड के लिए मैंने पलट कर उसे देखा और आगे चल दिया."
तिब्बेत्स ने बताया कि उन्होंने धुएँ के बादल और तेज़ी से फैलती हुई आग देखी. धुंए के ग़ुबार ने बड़ी तेज़ी से शहर को अपनी चपेट में ले लिया.
इस तरह चंद मिनटों में ही हिरोशिमा में सब कुछ निर्जन हो चुका था...उजाड़ और वीरान.
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ट्रूमैन की घोषणा
अमरीकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने घोषणा करते हुए कहा, "अब से कुछ देर पहले एक अमरीकी जहाज़ ने हिरोशिमा पर एक बम गिरा कर दुश्मन के यहाँ भारी तबाही मचाई है. यह बम 20 हज़ार टन टीएनटी क्षमता का था और अब तक इस्तेमाल में लाए गए सबसे बड़े बम से दो हज़ार गुना अधिक शक्तिशाली था."
उन्होंने कहा, "इस बम के साथ ही हमें हथियारों के श्रृंखला में एक नया क्रांतिकारी विध्वसंक हथियार मिल गया है, जो हमारी सेनाओं को मज़बूती देगा. इस समय इन बमों का उत्पादन किया जा रहा है, साथ ही इससे भी ज़्यादा ख़तरनाक बमों पर काम किया जा रहा है. ये परमाणु बम हैं जिनमें ब्रहमांड की शक्ति है. इस वैज्ञानिक उपलब्धि को हासिल करने के लिए हमने
लेकिन जब शहर पर बम गिराने की बारी आई तो फिर से शहर पर धुंए का क़ब्ज़ा था और नीचे से विमान-भेदी तोपें आग उगल रहीं थीं.
बी-29 का ईंधन ख़तरनाक तरीक़े से घटता जा रहा था. विमान में सिर्फ़ इतना ही तेल था कि वापस पहुंच सकें.
ग्रुप कैप्टन लियोनार्ड चेशर कहते हैं, "हमने सुबह नौ बजे उड़ान शुरू की. जब हम मुख्य निशाने पर पहुंचे तो वहाँ पर बादल थे. तभी हमें इसे छोड़ने का संदेश मिला और हम दूसरे लक्ष्य की ओर बढ़े जो कि नागासाकी था."
चालक दल ने बम गिराने वाले स्वचालित उपकरण को चालू कर दिया और कुछ ही क्षण बाद भीमकाय बम तेज़ी से धरती की ओर बढ़ने लगा. 52 सेकेण्ड तक गिरते रहने के बाद बम पृथ्वी तल से 500 फ़ुट की उँचाई पर फट गया.
घड़ी में समय था 11 बजकर 2 मिनट. आग का एक भीमकाय गोला मशरुम की शक्ल में उठा. गोले का आकार लगातार बढ़ने लगा और तेज़ी से सारे शहर को निगलने लगा.
नागासाकी के समुद्र तट पर तैरती नौकाओं और बन्दरगाह में खड़ी तमाम नौकाओं में आग लग गई.