hmara neta kesa ho essay in hindi
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Hmara neta Modi jaisa ho !!!!
Jo desh k baare me soche na ki Apne bare me .
Desh hit Ka Karya kre
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देश के लिए हमें ऐसा नेता चाहिए जो धर्म, प्रांत, जाति या भाषा के आधार पर राजनीति न करे। उसके लिए हर व्यक्ति समान हो। जो जनता के प्रति जवाबदेह हो। वह नेता न हो बल्कि जनता का प्रतिनिधि हो। जन भागीदारी पर गंभीरता से विचार करता हो और उस दिशा में काम करता भी नजर आए। हमारे नेता की जवाबदेही महज भाषण देने या बयानबाजी करने तक सीमित न हो, बल्कि जो वह कह रहा हो उसे करके दिखाए। आजादी के 66 बरसों का हमारा अनुभव यही रहा है कि देश और समाज सुधार सिर्फ नारेबाजी की चीज रहे हैं। जरूरी है कि नारों को व्यवहार में बदलने वाला व्यक्ति हमारा नेता बने। निर्णय समाज के अंतिम आदमी को ध्यान में रखकर किए जाएं।
नेता को यह समझना भी बहुत जरूरी है कि भारत सिर्फ कार्पोरेट या संपन्न वर्ग का ही नहीं है। वह किसानों, मजदूरों, दलितों, स्त्रियों और बच्चों का भी है। हमें ऐसा नेता चाहिए जो इन सभी की समस्याओं के बारे में सचेत रूप से सोच-समझ सके और उन्हें दूर करने की दिशा में काम करके दिखाए। यह भी जरूरी है कि उसके जरिए समाज के हर तबके के लोगों को बेहतर जीवन स्तर मिल सके। शिक्षा के अवसर, स्वास्थ्य सेवाएं और जीवन की जरूरी चीजें सहज उपलब्ध हों। उनके लिए मारा-मारा न फिरना पड़े।
लीडर ऐसा होना चाहिए जो पूरे समाज में बदलाव का संकल्प जगा सके और उसे व्यावहारिक रूप भी दे पाए। उसे आम लोगों को यकीन दिलाना होगा कि वह उन्हीं के बीच से एक है। नेता और जनता के बीच की दीवार टूटनी जरूरी है। उसे उदाहरण बनना होगा।
राष्ट्रवाद के धागे में पिरो सके
आशीष कुमार कंधवे, संपादक, आधुनिक साहित्य
आज के भारत का राष्ट्रीय तथा सामाजिक परिदृश्य नितांत चिंता का विषय है। भारत अपने राष्ट्रीय, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भाषाई विरासत को तब तक बचा पाने में सक्षम रहा जब तक उसके पास विलक्षण नेतृत्व जन्म लेता रहा। नए विचारों, नए उपकरणों, नए मापदंडों को यथायोग्य आत्मसात करके राष्ट्रीय हित में उनका उपयोग करता रहा तथा अपने विवेकानुसार समय के साथ उचित-अनुचित का निर्णय भी लेता रहा। आज संकट नेतृत्व का है। आखिर कैसा नेतृत्व इस देश को चाहिए? इस मुद्दे पर गहन चिंतन और विश्लेषण की जररूरत आ पड़ी है।
भारत को एक ऐसे नेतृत्व की जरुरत है जो राष्ट्र, राष्ट्रीयता और उसकी संप्रभुता को नई ऊंचाई पर ले जाने की योग्यता रखता हो। जो सिर्फ सुशासन के वादे न करे बल्कि भारत की आम जनता को स्वराज और स्वतंत्रता का विश्वास भी समग्र विकास के माध्यम से करके दिखाए। तिलक का ‘स्वराज्य’ और गांधी का स्वराज दोनों को चरितार्थ करके दिखाए। हमें मजबूत इरादों वाला नेतृत्व चाहिए, जिसका व्यक्तित्व बलिष्ठ हो और जो राष्ट्र-निष्ठा में भी दक्ष हो। जो ईमानदार और निर्णय लेने की क्षमता से भरा हो, चुनौतियों और संकटों का सामना कर सकता हो और सक्षम-अक्षम के बीच फर्क करना जानता हो। जो तरह-तरह के वाद से ग्रस्त भारत की जनता को राष्ट्रवाद के धागे में पिरो सके, उसका समग्र विकास कर सके। जिससे भारत का राजनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई विकास हो और जो भारत को खोखला होने से बचा सके, ताकि भारतीयता और भारत के गौरव को हम इतिहास के पन्नों में खोने से बचा सकें।