Hospital mein ek ghanta par nibandh in hindi
Answers
Answer:
Explanation:
जुलाई का महीना था। मेरे एक दोस्त का एक्सीडेंट हो गया था। उसे इमरजेंसी वार्ड से जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया था। जब मैं स्कूल से लौटे तब मुझे उसके एक्सीडेंट के बारे में पता चला। मुझे लगा कि यह मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने दोस्त का हाल चाल पूछूं अस्पताल जा कर।
इसलिए मैं उससे मिलने अस्पताल चला गया। अस्पताल में मिलने का समय शाम 4:00 बजे से 6:00 बजे तक का था। मैं अपने घर से 4:00 बजे हॉस्पिटल के लिए निकला। मैं 4:30 बजे तक हॉस्पिटल पहुंच गया था। अस्पताल में काफी लोग मरीजों से मिलने आए हुए थे। वह लोग काफी चिंता मे लग रहे थे। मैं सीधे जनरल रोड की तरफ चला गया। मेरे दोस्त की हालत पहले से काफी बेहतर थी। उसके हाथ और मुंह में चोटें आई हुई थी। मैंने उसे सांत्वना दी कि तुम जल्दी से ठीक हो जाओगे।
मैंने सोचा की हॉस्पिटल का एक पूरा चक्कर लगा कर आता हूं। अस्पताल की बिल्डिंग काफी बड़ी थी। अस्पताल में काफी प्राइवेट और जनरल वार्ड थे। सारी वार्ड बहुत साफ सुथरे थे। सारे कमरों के पंखे चल रहे थे और मरीज पलंग पर लेटे हुए थे। कुछ मरीज सो रहे थे कुछ मरीज बैठे हुए थे कुछ मरीज दर्द से कराह रहे थे। कुछ मरीजों का ऑपरेशन हुआ हुआ था तो उनके रिश्तेदार उनके पास बैठे हुए थे। कुछ मरीजों की दशा बहुत खराब थी। डॉक्टर और नर्सेज अपना काम करने में व्यस्त थे। वह पूरी कोशिश कर रहे थे कि हर मरीज को उचित इलाज मिले। 1 वार्ड से रोने और चिल्लाने की आवाज आ रही थी उस वार्ड के मरीज की मृत्यु हो गई थी। मुझे इस बात से बहुत दुख हुआ। अस्पताल में एक दवाई की दुकान भी थी। अस्पताल में बहुत प्रकार के डिपार्टमेंट्स थे। इस अस्पताल में हर प्रकार का इलाज संभव था। अस्पताल में हर बीमारी के लिए अलग डॉक्टर था।
मैं एक घंटा अस्पताल में व्यतीत करने के बाद अपने घर लौट गया। हॉस्पिटल का वातावरण देखकर मुझे बहुत दुख हुआ।
==================================================================
Hope this will help you....
Answer:
एक गंभीर रूप से बीमार रोगी के लिए, एक अस्पताल स्वर्ग और नरक दोनों का विचार प्रस्तुत करता है। जब मौत उसे चेहरे पर घूरती है, तो उसे लगता है कि अस्पताल में उसकी जान बच सकती है। इसी समय, वह विभिन्न परीक्षणों और दर्दनाक उपचार और दवाओं के प्रशासन से डरता है जिसके माध्यम से उसे पास करना पड़ सकता है और, वह जानता है कि परिणाम हमेशा सकारात्मक नहीं होते हैं। डॉक्टर की ओर से थोड़ी सी लापरवाही या किसी दवा के कारण होने वाली थोड़ी प्रतिक्रिया स्थिति को सबसे खतरनाक और कभी-कभी अपरिवर्तनीय बना सकती है।
पिछले रविवार को मुझे स्थानीय सिविल अस्पताल का दौरा करना था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मेरे दोस्त, मोहित, को वहां लगभग एक हफ्ते के लिए भर्ती कराया गया था। उनकी एक सड़क दुर्घटना हुई और मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूं कि उनका जीवन योग्य डॉक्टरों और सर्जनों द्वारा बचा लिया गया।
जैसे ही मैं अस्पताल में दाखिल हुआ, मुझे कुछ दुख हुआ क्योंकि मैंने देखा कि कुछ महिलाएं जोर-जोर से रो रही हैं। वे निकट और प्रिय व्यक्ति की मृत्यु का शोक मना रहे थे।
यह समय हो रहा था और मैं सीधे सर्जिकल वार्ड में गया, जहां मेरे दोस्त को भर्ती कराया गया था। जैसे ही मुलाकात का समय खत्म हुआ, ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने मुझे तुरंत कमरे से बाहर जाने के लिए कहा। मैं अनिच्छा से उठा लेकिन मोहित को अस्पताल में रहने तक फिर से आने का वादा किया।