History, asked by rishavsinghal8948, 1 year ago

How and why did the jaliya wala bag incident take place?

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Answered by grreeaatt
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On 13 April the infamous Jallianwalla Bagh incident took place. On that day a crowd of villagers who had come to Amritsar to attend a fair gathered in the enclosed ground of Jallianwalla Bagh. Being from outside the city, they were unaware of the martial law that had been imposed. Dyer entered the area, blocked the exit points, and opened fire on the crowd, killing hundreds. His object, as he declared later, was to ‘produce a moral effect’, to create in the minds of satyagrahis a feeling of terror and awe. As the news of Jallianwalla Bagh spread, crowds took to the streets in many north Indian towns. There were strikes, clashes with the police and attacks on government buildings. The government responded with brutal repression, seeking to humiliate and terrorise people: satyagrahis were forced to rub their noses on the ground, crawl on the streets, and do salaam (salute) to all sahibs; people were flogged and villages (around Gujranwala in Punjab, now in Pakistan) were bombed. Seeing violence spread, Mahatma Gandhi called off the movement.
☺️hope it helps☺️
Answered by bhaveshkaknya000
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Answer:

जालियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में १३ अप्रैल १९१९ (बैसाखी के दिन) हुआ था। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे[2] और २००० से अधिक घायल हुए।[3][4] अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए।यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। माना जाता है कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी।[5][6]

१९९७ में महारानी एलिज़ाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। २०१३ में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि "ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी।"[7]

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