Hum parhavi humari mansikta par paksh aur vipaksh mein
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Answer:
हम पर हावी हमारी मानसिकता
पक्ष —
हम पर हमारी मानसिकता ही हावी है। हमारी सोच पश्चिमी सोच ही हावी है। अंग्रेज हम पर सैकड़ों साल राज करके चले तो गए लेकिन उनकी द्वारा छोड़े गये विचारों की मानसिकता से हम अभी तक निकल नही पाये हैं। हम हर बात के लिये पश्चिम की तरफ ही मुँह ताकते हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों में इतना ज्ञान भरा पड़ा है लेकिन हमें उसका सम्मान नहीं है जबकि पश्चिम में उन पर अनेक शोध हुए हैं। योग का महत्व भी हमने तब स्वीकारा जब पश्चिम से उसका अनुमोदन हुआ। अंग्रेज हमें जो सौंप गए हम उसी का पालन कर रहे हैं। हम अपना कोई स्वरूप अभी तक विकसित नहीं कर पाए हैं क्योंकि हम अभी उस गुलामी भरी मानसिकता से नहीं निकल पाए हैं। इसलिए हम पर हमारी हम पर हमारी मानसिकता हावी है।
विपक्ष — यह बात पूरी तरह ठीक नहीं है भारत अब गुलामी की बेड़ियों के बाद वाले प्रभाव से से धीरे-धीरे बाहर निकल रहा है और अपने यहां पर नए-नए विचारों का सृजन हो रहा है। एक नए भारत का उदय हो रहा है। भारत हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है। कहा जा सकता है कि भारत पूरी तरह मानसिकता से नहीं निकल पाया है लेकिन वह प्रयास कर रहा है और धीरे-धीरे वे पूरी तरह निकल जायेगा। तब भारत का विश्व में डंका बजेगा और भारत प्राचीन समय वाली विश्व गुरु की स्थिति को पा लेगा।